चौपाल: दमन का कुचक्र
चीन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दमन किया जा रहा है। एक चीनी महिला पत्रकार झांग झेन ने काफी शुरूआती दौर में ही वुहान के सच को उजागर किया था। सोशल और अंतरराष्ट्रीय मीडिया के लिए साझा की गई इस जानकारी में कोरोना की भयावहता का जिक्र किया गया था। सरकार ने इस महिला पत्रकार को पांच साल की सजा दी है।

चीन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगातार प्रहार जारी है। कोरोना को मुद्दा बना कर मीडिया का गला घोंटा जा रहा है। कोरोना वायरस की जानकारी साझा करने वालों पर चलता दमन चक्र उचित नहीं है। हाल ही में एक चीनी पत्रकार को वुहान की जानकारी साझा करने पर पांच साल की सजा दी गई है। लगातार अंजाम दी जा रही इस तरह की घटनाओं से स्वतंत्र पत्रकारिता की बातचीत चीन में बेमानी साबित हो रही है।
इससे पहले भी वहां कई पत्रकार, डॉक्टर और प्रबुद्ध नागरिक या तो गायब कर दिए गए या उन्हें सजा देकर प्रताड़ित किया जा रहा है। कहने को चीन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताई जाती है, मगर जिस प्रकार सरकार दमन का कुचक्र चला रही है, वह मानवाधिकारों के भी खिलाफ है।
चीन सरकार का यह कदम मानवाधिकारों के हनन का सबूत है। अगर इस तरह की जानकारियों को सरकार समय पर ही संज्ञान में ले लेती और उस पर ठोस कार्रवाई कर देती तो पूरी दुनिया को कोरोना की आग में झुलसने से बचाया जा सकता था और अर्थव्यवस्था भी रसातल में न जाती। आम आदमी के हित में की गई इस तरह की रिपोर्टिंग की उपेक्षा कर चीनी सरकार ने खुद को कहां खड़ा कर लिया है, यह वही बताए।
’अमृतलाल मारू ‘रवि’, धार, मप्र
नदियों का जीवन
पूर्णबंदी के चलते कई नदियां प्रदूषण मुक्त होकर अपने आप ही स्वच्छ होने लगीं। लेकिन यह किसी जागरूक समाज का आम अभ्यास होना चाहिए कि वह नदियों को स्वच्छ बनाने में अपनी नियमित भूमिका निभाए। इसके अलावा, नदियों को प्रदूषण से मुक्त करने का दायित्व निभाने वाली संस्थाओ की मदद कर उन्हें शासन की ओर से भी सहायता मुहैया कराया जाना चाहिए, ताकि नदियों को फिर से जीवन दिया जा सके।
इसका तात्कालिक और दीर्घकालिक लाभ यह होगा कि सभी को शुद्ध जल का लाभ उपलब्ध कराया जा सकेगा। साथ ही जल संक्रमण से होने वाली बीमारियों से निजात मिल सकेगी। स्वच्छता का संदेश और जागरूकता लाना हर इंसान का कर्तव्य है, क्योंकि स्वच्छता से ही बीमारियों से मुक्ति पाई जा सकती है।
’संजय वर्मा ‘दृष्टि’, मनावर, मप्र
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