चुनावों के वक्त अमूमन सभी लोग मतदान करने जाते हैं। यह सोच कर कि वे देश के लोकतंत्र को बचाने जा रहे हैं। यह सही भी है। हमारा एक वोट कितना महत्त्वपूर्ण है, यह सभी राजनीतिक दलों को खासतौर पर चुनावों के वक्त अच्छी तरह समझ आता है। लोगों के एक वोट से कोई भी पार्टी बन या बिगड़ सकती है। चुनाव आते ही राजनीतिक दल सत्ता में आने के लिए लोगों को तमाम प्रकार के लालच देने का प्रयास करते हैं। धर्म और जाति के नाम पर वोट बटोरने की कोशिश करते हैं, नौकरियां देने का झूठा वादा या फिर कुछ और तरीका अपना कर लोगों का दिल जीतने में लग जाते हैं, पर लोगों को इनकी बातों में नहीं आना चाहिए।
चुनाव के कुछ दिन पहले से ही हम देखते हैं कि कई नेता अपनी पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टी में जा रहे हैं और सभी का कारण एक ही है। कोई कह रहा कि पार्टी हमारी बात नहीं सुनती, कोई बता रहा है कि जनता के हित में काम नहीं हो रहा। पर सोचा जाए तो क्या पिछले पांच सालों से अभी तक उन्हें मौका नहीं मिला था जनता को बताने का, जो सब चुनाव के समय बता रहे हैं? लोगों को समझना होगा उनका मकसद। लेकिन यह याद रखना चाहिए कि मतदान करते समय अपने धर्म और जाति को पीछे रख जो दल जनता की भलाई के लिए काम करे, उसी को वोट देना चाहिए।
- स्मिता उपाध्याय, प्रयागराज, उप्र
गंभीर घटना
‘चीन की मंशा’ (संपादकीय, 21 जनवरी) पढ़ा। इस चौकन्नी नजरों ने घटना को प्रकाश में लाकर चीन के इरादों को फिर से बेनकाब किया है। भारत का विश्व में बढ़ता प्रभाव और सामरिक महत्त्व चीन को हजम नहीं हो रहा, इसीलिए भारतीय सीमा पर वह तनाव उत्पन्न करता रहता है। चीनी सैनिकों द्वारा अरुणाचल प्रदेश के भारतीय युवक का अपहरण गंभीर घटना है। सरकार को तुरंत संज्ञान लेकर न सिर्फ उसे वापस लाना चाहिए, बल्कि चीन से इसका विरोध भी दर्ज कराना चाहिए।
- संतोष सुपेकर, उज्जैन, मप्र