चौपाल: विवेक की शिक्षा
सही मायने में अच्छी शिक्षा मानवता और समाज कल्याण की बात करती है, हमें धर्मांधता से दूर करती है। लेकिन आज हमारे बीच ऐसा कुछ भी नहीं है। राजनीति का होना सही है, लेकिन एक सीमा तक।

वैसी शिक्षा की आवश्यकता सभी के लिए जरूरी है, जो हमें तर्कशील और विवेकवान बनाने में अहम् भूमिका निभाती है और जिससे हम समाज के सभी समस्या को समझ कर उसका निराकरण कर सकते हैं। लेकिन शिक्षा जब व्यावहारिक न होकर सिर्फ प्रमाण-पत्र पर ही आधारित हो जाए, तो वह भयावह रूप भी ले सकती है, जैसा आज हो रहा है। हम राजनीति के दलदल में इस कदर फस चुके हैं जहां सही और गलत से नहीं मतलब है। हम सिर्फ अपने स्वार्थ की बात करते हैं और जाति-धर्म को लेकर लड़ते हैं। जबकि यह नहीं होना चाहिए।
सही मायने में अच्छी शिक्षा मानवता और समाज कल्याण की बात करती है, हमें धर्मांधता से दूर करती है। लेकिन आज हमारे बीच ऐसा कुछ भी नहीं है। राजनीति का होना सही है, लेकिन एक सीमा तक। जिस उम्र में बच्चों के हाथ में किताबें होनी चाहिए, उस उम्र में उसके दिमाग में कट्टरता और हाथ में हथियार का होना समाज के लिए घातक है। हमें मानवता को प्रमुखता देनी चाहिए, जिससे समाज का कल्याण हो सके।
इस विषय पर सभी नेताओं को सोचना-समझना चाहिए और बच्चों के भीड़ इकट्ठा करने का जरिया न बना कर, उन्हें अध्ययन की तरफ प्रेरित किया जाए। तभी हम एक समृद्ध और सुदृढ़ भारत की कल्पना को मजबूती दे सकते हैं। अन्यथा एक दूसरे से धर्म, जाति प्रांत के नाम पर लड़ एक दिन खुद का अस्तित्व समाप्त कर लेंगे।
’दीपेंद्र कुमार मिश्र, वाराणसी, उप्र