corruption, scam बारिश में मध्य प्रदेश के धार जिले का तीन सौ पांच करोड रुपए की लागत से बने कारम बांध ने खतरे की घंटी बजा दी थी। भले ही कोई स्वीकारे या ना स्वीकारे, मगर हकीकत तो यह है कि भ्रष्टाचार, कमीशन खोरी, घपले बाजी रग-रग में समा गई है। वाकई में भ्रष्टाचार/घोटाले बाजी का खेल ना होता, तो न कारम बांध हादसा होता, न ही मोरबी का पुल टूटता।
भ्रष्टाचार और कमीशन खोरी के खेल के चलते देश कमजोर होता जा रहा है। राज्यों का बुरा हाल है। हर काम में कमीशन की संस्कृति सारी सीमाएं तोड़ चुकी है। देश भक्ति, राष्ट्रवाद जैसी बातें जुमले बन गई हैं। मोरबी की घटना यही सबक सिखाती है कि चाहे कुछ भी हो, अपना हो या पराया, अब भ्रष्टाचार पर सख्त प्रहार बहुत जरूरी है। स्कूल, अस्पताल, बांध/तालाब, सड़कें, पुल पुलियाएं सभी मजबूत राष्ट्र की आधारशिला होती हैं। हमारा राष्ट्रीय चरित्र कैसा है, वह इन्हीं कार्यों में दिखाई दे जाता है!
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन
अज्ञानता के नमूने
भारत के इंग्लैंड से बुरी तरह हारने के बाद देश में आक्रोश, हास्य व्यंग्य जैसा मिश्रित माहौल देखने को मिला। हार-जीत की समीक्षा हुई, कुछ जातिगत, राजनीतिक परजीवी भी हरकत में दिखाई दिए, कुछ धार्मिक प्रेम में ओतप्रोत होकर ब्रेट ली का ट्वीट एवं बयान साझा करते दिखाई दिए। परंतु इन सबके बीच सबसे ज्यादा बड़ी बहस बना- ज्योतिष और लंपट किस्म के भविष्यवक्ता।
कारण इलेक्ट्रानिक मीडिया की लोकप्रियता की भूख या तथाकथित भविष्यवक्ताओं का बिना ज्ञान के बड़बोलापन रहा। इन सबके बीच ज्योतिष जैसा विज्ञान बदनाम हो रहा है, इसलिए अभी तक समाचार पत्र या लिखित सामग्री को ही सर्वश्रेष्ठ और सर्वमान्य माना जाता रहा है। क्योंकि लोकप्रियता के लालच में लोग अनर्गल बयानबाजी केवल ध्यान आकर्षण के लिए करते हैं और इलेक्ट्रानिक मीडिया उनका हथियार बनता है। पुरानी कहावत है कि बदनाम हुए तो क्या नाम नहीं होगा। इसी तर्ज पर फर्जी ज्योतिषाचार्य केवल अपनी चिंता कर रहे हैं, उन्हें अपने बदनाम होने से भी लाभ ही होगा। परंतु ज्योतिष विज्ञान की बदनामी और जगहंसाई का श्रेय अज्ञानी ज्योतिषी और इलेक्ट्रानिक मीडिया को जाना चाहिए।
मनोज, मेरठ