चौपाल: अपराध का दायरा
उत्तर प्रदेश के हाथरस की घटना को देश भुला नहीं पाया था कि फिर इंसानियत को शर्मसार करने वाली बदायूं की घटना ने सबको झकझोर कर रख दिया।

इस घटना में अपराधियों ने जिस जगह जिस तरह का अपराध किया गया, वह समाज को विचलित करता है। धर्म की आड़ में छिपे ऐसे चेहरों को समाज के सामने उजागर करने की आवश्यकता है। ऐसी हर घटना दिल्ली के निर्भया और कठुआ कांड की तरह उत्तर प्रदेश में भी हुए अपराधों की याद दिलाती है।
जहां प्रदेश के मुखिया कानून को लेकर कठोरता बरतने का दावा करते दिखते हैं, वैसे में इस तरह की घटनाएं उनके दावे की असलियत बताती है। ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कई कानून बने हैं, फिर भी ऐसे अपराध नहीं रुक पा रहे हैं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? सच यह है कि जब तक निचले स्तर के अधिकारी संवेदनशील नहीं होंगे, तब तक कानून की रक्षा अधर में रहेगी।
कठोर कानून के साथ-साथ समाज में अंधविश्वासों और कुरीतियों पर अंकुश लगाने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाते रहना चाहिए। अपराध की सफाई के साथ साथ जरूरी है छल के पर्दे में पलने वाले धोखे की सोच पर अंकुश लगाना।
’मोहम्मद आसिफ, जौनपुर, उप्र
अहम फैसला
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने एक महत्त्वपूर्ण फैसला सुनाया कि अगर किसी व्यक्ति के बैंक खाते से किसी हैकर द्वारा या किसी अन्य कारण से पैसा निकाल कर धोखाधड़ी की जाती है और इसमें ग्राहक की लापरवाही नहीं है, तो ऐसे मामले में बैंक प्रबंधन जिम्मेदार है।
अगर उपभोक्ता या ग्राहक की गलती है या ठग को ‘ओटीपी’ बताई जाती है, तो ऐसी स्थिति में ग्राहक स्वयं जिम्मेदार है। यह बैंक के ग्राहकों के हित में महत्त्वपूर्ण फैसला है। देश में ठग और हैकर्स नित्य नई-नई तकनीकी से ठगबाजी कर रहे हैं, जो बिना ग्राहक के संपर्क में आए खाते साफ कर देते है।
ऐसे में ग्राहक का क्या दोष? केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक इस अहम फैसले को नजीर मानते हुए सभी बैंकों को सचेत करना चाहिए कि ग्राहक के साथ उसकी गलती के बिना धोखाधड़ी होती है तो ऐसी स्थिति में स्वयं बैंक प्रबंधन जिम्मेदार होगा।
’हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन, मप्र
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