लेकिन जमीनी हकीकत यही है कि हमारी अधिकांश जनसंख्या बेरोजगारी के कारण भूख का सामना करने और शिक्षाविहीन रहने के लिए विवश है। ज्यादातर लोगों के पास कोई जरूरी सुविधा उपलब्ध नहीं है।
ऐसी परिस्थितियों में हमारी सरकारें, जो गरीबी और बेरोजगारी को जड़ से समाप्त करने के लिए नीतियां बनाती हैं, उनकी सार्थकता कितनी है, इस बात का अंदाजा स्वत: ही लगाया जा सकता है। बेरोजगारी का आंकड़ा बढ़ते-बढ़ते इतना विकराल और भयावह रूप धारण कर चुका है कि इसका सामना करना हमारे लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है।
ऋचा, दिल्ली
डिजिटल खतरा
एम्स में हुए साइबर हमले के बाद डिजिटल डाटा की सुरक्षा का सवाल फिर उठा है। जितनी तेजी के साथ डिजिटलीकरण का प्रचार किया गया, उसका एक्जिट पोल भी सामने आने लगा है। ऐसे में डिजिटल डाटा सुरक्षा को लेकर बनाए गए नियमों को सख्ती के साथ लागू करना एक बड़ी चुनौती है। डिजिटल दुनिया में डाटा नए आक्सीजन की तरह है।
देश के प्रतिष्ठित और सर्वोच्च अस्पताल में अगर ऐसी घटनाएं घट रही हैं तो यह एक भयावह स्थिति की ओर इंगित करती है। 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 86 मिलियन साइबर अटैक किए गए और ये आंकड़े पिछले सालों की तुलना में बेतहाशा बढ़ रहे। जब ऐसी कोई बड़ी घटनाएं होती है तो डाटा सुरक्षा और साइबर खतरे को लेकर बात की जाती है। आज न सिर्फ स्वास्थ्य सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा, बल्कि डाटा सुरक्षा को लेकर भी सतर्क और जागरूक होने की जरूरत है।
अमन जायसवाल, आइआइएमसी, दिल्ली</p>
समझ की संस्कृति
हथियार रखना एक शौक हो सकता है। लोग इसके लिए बड़ी रकम भी खर्च करते हैं। बावजूद इसके घृणित मानसिकता से बचाव जरूरी होता है, तभी हथियारों का दुरुपयोग नहीं हो पाता है। इसका बड़ा उदाहरण स्विट्जरलैंड है, जहां आधुनिक हथियारों का भंडार औसत दुनिया से बहुत अधिक होने के बावजूद अपराध कम होते हैं।
यह एक बड़ी उपलब्धि है जिसकी गहराई में जाकर उसकी वजह जानना चाहिए, जिससे अपराधी मानसिकता से पनपती हिंसा को रोका जा सके। यह आश्चर्य का विषय है कि वहां हर तीसरा आदमी हथियार चलाने में पारंगत है। बावजूद इसके पिछले 21 वर्षों में स्विट्जरलैंड में सार्वजनिक स्थल पर अमेरिका जैसी हिंसा नहीं हुई है। निश्चित तौर पर यह उपलब्धि सार्वजनिक क्षेत्र में एक बड़ा महत्त्व रखती है। हथियारों की होड़ और होती हिंसा की घटनाओं के मद्देनजर ठंडे दिमाग से सोचे जाने की जरूरत है।
अमृतलाल मारू ’रवि’, इंदौर