चौपाल: घिरता सोशल मीडिया
एक दिन में एक पोस्ट नहीं डालते तो ऐसा लगता है जैसे दिन अधूरा रह गया। एक अध्ययन में पता चला है कि दुनियाभर में लगभग पांच अरब लोग सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं और भारत में यह आकड़ा करीब चालीस करोड़ का है।

आज के दौर में शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो सोशल मीडिया का उपयोग नहीं करता होगा। सोशल मीडिया आज की पीढ़ी के लिए आम बन चुका है। बेशक लोग अपने रिश्तेदार से कम वार्ता करें, लेकिन सोशल मीडिया पर शादी तक कर ले रहे हैं। एक दिन में एक पोस्ट नहीं डालते तो ऐसा लगता है जैसे दिन अधूरा रह गया। एक अध्ययन में पता चला है कि दुनियाभर में लगभग पांच अरब लोग सोशल मीडिया का प्रयोग करते हैं और भारत में यह आकड़ा करीब चालीस करोड़ का है।
बहरहाल, सोशल मीडिया साइट्स जैसे फेसबुक, गूगल और ट्विटर पर आरोप लगा है कि वे अपने प्लेटफॉर्म पर कुछ खास तरह की सामग्री को प्रतिबंधित करते हैं और उस पर फेक न्यूज का चस्पा भी लगाते हैं। इस कारण करोड़ों लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित होती है। पिछले हफ्ते अमेरिका की संसदीय समिति ने लगभग साढ़े तीन घंटे तक एक वर्चुअल सुनवाई की थी, जिसमें फेसबुक, गूगल और ट्विटर के सीईओ भी शामिल हुए थे। सुनवाई के दौरान तीनों कंपनियों पर आरोप लगा कि वे अपने प्लेटफॉर्म्स पर अपनी मर्जी के अनुसार आॅनलाइन सामग्री को प्रतिबंधित करती हैं।
वैसे ट्विटर पर अक्सर पक्षपात करने के आरोप लगते रहे हैं और इसीलिए वहां के सांसदों के निशाने पर सबसे ज्यादा ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी ही रहे। ट्विटर के भेदभावपूर्ण रवैये के वैसे तो कई उदाहरण हैं, लेकिन हाल में सामने आया उदाहरण बहुत निंदनीय हैं। छह अक्तूबर को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ट्वीट किया था जिसमें उन्होंने लिखा थी कि कोविड-19 का संक्रमण फ्लू से कम खतरनाक है।
ट्रंप ने इसकी वजह भी बताई थी कि फ्लू की वैक्सीन मौजूद है फिर भी हर वर्ष एक लाख से अधिक लोग इसका शिकार होते ही हैं। कुछ ही समय बाद ट्विटर ने ट्रंप के इस ट्वीट पर कार्रवाई करते हुए इसे रोक दिया और अफवाह फैलाने और गलत जानकारी फैलाने का आरोप भी लगा दिया था। दूसरी ओर इसी साल 12 मार्च को चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने अमेरिका की सेना पर चीन के वुहान शहर में कोरोना संक्रमण फैलाने का आरोप लगाया। लेकिन ट्विटर ने इस ट्वीट को प्रतिबंधित नहीं किया।
वैसे फेसबुक, गूगल और ट्विटर इन तीनों कंपनियों पर चीन ने पाबंदी लगा रखी है। इसका मतलब है कि ये कंपनियां इस समय चीन में उपलब्ध नहीं हैं। हालांकि इसके बाद भी अमेरिका की यह कंपनियां अपने ही देश के खिलाफ चीन का पक्ष ले रही हैं। बेशक यह बड़ी कंपनियां अमेरिका और दुनिया के बाकी देशों में अपना कारोबार करती हैं, पर सोशल मीडिया पर यह सिर्फ चीन का साथ दे रही हैं।
’निधि जैन, लोनी (गाजियाबाद)
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