चौपाल: मैदान की बाजी
रहाणे द्वारा अपना सौवां मैच खेल रहे नाथन लायन को टीम जर्सी सप्रेम भेंट करना यह दर्शाता है कि खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के अतिरिक्त खेल भावना दिखाने के मामले में भी वैश्विक स्तर पर भारतीय क्रिकेट टीम का कोई सानी नहीं है।

कहते हैं कि पसीने की स्याही से जो लोग मंजिल की दास्तान लिखने की कोशिश करते हैं, उनकी सफलता के कागज कभी कोरे नहीं होते। वास्तव में भारतीय टीम ने इन पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए पिछले तीन दशक से भी अधिक समय से आस्ट्रेलिया के गाबा मैदान में अजेय रहने के टेस्ट रिकार्ड को ध्वस्त कर एक नया कीर्तिमान गढ़ा और साथ ही 2-1 से टैस्ट शृंखला को जीत कर बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी को गावस्कर के देश को ही सौंप दिया।
किस प्रकार एक-एक कर भारतीय टीम के मुख्य खिलाड़ी चोटिल हुए, मगर फिर अनुभवहीन होने के बावजूद भारतीय टीम ने गिरते-पड़ते धैर्य, साहस, संघर्ष और समझदारी का परिचय देते हुए अनुभव हासिल करने की ऐतिहासिक दास्तान को स्वर्णिम अक्षरों में लिखा और साबित कर दिया कि ‘गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में, वो तिफ्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले’।
वास्तव में यह काबिलेतारीफ है। सबसे सकारात्मक पहलू यह रहा कि अलग-अलग मौके पर भिन्न-भिन्न खिलाड़ियों ने अपनी काबिलियत का प्रदर्शन किया। सभी ने मिल कर जो सफलता की नींव बनाई, आज पूरी दुनिया देख रही है कि भारत ने उस पर एक इमारत सफलतापूर्वक खड़ा कर दिया है।
साथ ही रहाणे द्वारा अपना सौवां मैच खेल रहे नाथन लायन को टीम जर्सी सप्रेम भेंट करना यह दर्शाता है कि खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के अतिरिक्त खेल भावना दिखाने के मामले में भी वैश्विक स्तर पर भारतीय क्रिकेट टीम का कोई सानी नहीं है। अगर मैदान में यह मजबूती कायम रही तो आने वाले वक्त में दुनिया एक बार फिर भारतीय टीम के जलवे देखेगी।
’नाटू यादव, दिल्ली