GDP growth in 2022: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने चालू वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद के विकास के अनुमान को 60 बेसिक प्वाइंट्स से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि, मंदी के बावजूद भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखेगा। अपनी नवीनतम विश्व आर्थिक आउटलुक रिपोर्ट में आईएमएफ ने कहा, “भारतीय दृष्टिकोण के मुताबिक साल 2022 में 6.8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की ओर है। जुलाई के पूर्वानुमान के बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ में 0.6 फीसदी की गिरावट आई है। ये दूसरी तिमाही में कमजोर-अपेक्षित परिणाम को दर्शाता है।”
आईएमएफ ने जुलाई 2022 की अपनी रिपोर्ट में 2022 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था। भारत की जीडीपी वृद्धि पर आईएमएफ का नवीनतम अनुमान वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा अनुमानित 7 प्रतिशत की वृद्धि से कम है। हालांकि, मंदी के बावजूद, भारत सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। आईएमएफ के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक साल 2022 में भारत की जीडीपी वृद्धि साल 2021 में 8.7 प्रतिशत से धीमी होकर 6.8 प्रतिशत हो जाएगी। 2023 में विकास दर और धीमी होकर 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
चीन के मुकाबले भारत बेहतर स्थिति में
वहीं जब हम इसकी तुलना चीन से करते हैं तो चीन की जीडीपी वृद्धि साल 2021 में 8.1 फीसदी के मुकाबले गिरकर साल 2022 में 3.2 फीसदी तक जा पहुंची है। वहीं साल 2023 में चीन की वृद्धि 4.4 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है, लेकिन भारत के 6.1 प्रतिशत अनुमानित विकास की तुलना में ये नीचे ही रहेगा। IMF के मुताबिक कर्ज का संकट बड़ी चिंता का विषय है। इसके साथ ही IMF ने आगाह किया कि केंद्रीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति, मुद्रास्फीति को कम करने के लिए सही रुख का गलत आंकलन भी कर सकती है।
कई चुनौतियां हैं सामने
IMF के अनुसार दुनिया की अर्थव्यवस्था को मुद्रास्फीति और वित्तीय संकट के अलावा रूस-यूक्रेन की जंग की वजह से बिगड़े हालातों ने भी परेशानी बढ़ा दी है। वहीं इसके अलावा दुनिया में COVID-19 महामारी के चैलेंज भी अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुए हैं। आईएमफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि अधिक एनर्जी और खाद्य कीमतों के झटके से मुद्रास्फीति लंबे समय तक बनी रह सकती है। वहीं पिछले सप्ताह विश्वबैंक ने साल 2022-23 के लिए भारत के विकास के अनुमान को घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया है, जबकि एशियाई बैंक और रिजर्व बैंक ने इस अनुमान को घटाकर 7 फीसदी कर दिया है।