वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस कार्यकाल का अपना आखिरी पूर्ण बजट पेश करेंगी। वित्त मंत्रालय में हलवा समारोह हो चुका है और अब कागजात की छपाई का काम विधिवत शुरू हो गया है। देश और समाज के सभी वर्गों को उनसे काफी उम्मीदें हैं। मसलन किसानों को उम्मीद है कि उनकी सम्मान निधि सालाना छह हजार रुपये से बढ़ाकर आठ हजार तक कर देंगी। इसी तरह निर्यातकों को कई चीजों के निर्यात पर छूट की उम्मीद है। कारोबारी चैंबर्स की भी अपनी उम्मीदें हैं और वो इसके लिए अपना प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। लेकिन मिडल क्लास है जिसे न तो किसी ने बुलाया और न ही उसने कुछ कहा। यह वही क्लास है जो भारतीय अर्थव्यवस्था के पहियों को गति देता है। अपनी खऱीदारी की ताकत से। वह जितना खपत करता है, अर्थव्यवस्था की गति उतनी ही तेज होती जाती है। लेकिन इस समय वह कष्ट में है।
Budget 2023 में क्यों मिले राहत
मिड्ल क्लास को पिछले सालों में वित्त मंत्री से कोई राहत नहीं मिली। लेकिन इस बार वित्त मंत्री का न केवल खजाना भरा हुआ है बल्कि इकॉनॉमी के अन्य तत्व भी उनका साथ दे रहे हैं। मसलन बढ़िया फसलें और बेहतर निर्यात। कोरोना के कहर से देश के निकल जाने के बाद इकोनॉमी में आशातीत तेजी आई जो टैक्स वसूली में साफ परिलक्षित हो रहा है।
सभी तरह की टैक्स वसूली ने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं। इससे मिडल क्लास के लोग, खास कर नौकरी पेशा वर्ग में काफी उम्मीदें जग गई हैं। यह वही वर्ग है जिसकी खपत करने की ताकत से मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री हो या सर्विस सेक्टर, दौड़ते हैं। इसी वर्ग की खर्च करने की आदत या यूं कहें कि खरीदारी करने की आदत से ही इकोनॉमी के पहिये दौड़ते रहे हैं और इस बार तो इसने कमाल ही कर दिया। जबकि देश में बेरोजगारी बढ़ी ही है, घटी नहीं है। महंगाई ने भी कुछ समय तक अपना सिर उठाया था और मिडल क्लास को परेशान किया। लेकिन उसने खर्च करने की अपनी आदत बरकरार रखी जिससे आज इकोनॉमी को बड़ा सहारा मिला। यह क्लास बहुत ही महात्वाकांक्षी है और यह सपने देखता ही नहीं है बल्कि उसे पूरा करने के लिए पैसे भी खरचता है।
Direct and Indirect Taxes collection: टैक्सों की रिकॉर्ड वसूली
मिड्ल क्लास इस बार वित्त मंत्री से काफी कुछ चाह रहा है और सच तो यह है कि सरकार के पास देने को काफी कुछ है। उसकी तिजोरी भरी हुई है और टैक्स वसूली भी खूब हो रही है। प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में 10 जनवरी 2023 तक कुल प्रत्यक्ष कर वसूली 14.71 लाख रुपये हुई जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 24.58 फीसदी ज्यादा है। रिफंड वगैरह देने के बाद यह राशि 12.31 लाख रुपये है जो पिछले वर्ष की तुलना में 19.55 फीसदी ज्यादा है और यह बजट में डायरेक्ट टैक्स वसूली के अनुमानों का 86.68 फीसदी है। यानी सरकारी खजाना अनुमान से ज्यादा भरेगा।
परोक्ष कर, यानी इनडायरेक्ट टैक्स में भी अब तक 24 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कॉरपोरेशन टैक्स में भी आशातीत बढ़ोतरी हुई है और कुल प्राप्ति 6.35 लाख करोड़ रुपए रही है।
प्राप्त आंकड़ों के अनुसार भारत में टैक्स वसूली पिछले बारह वर्षों से लगातार बढ़ती जा रही है। एक सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2023 में सरकार को 1.7 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होगी। इतना ही नहीं विनिवेश से भी सरकार को कम से कम 64,000 करोड़ रुपये की आय होगी। यह वित्त मंत्री के लिए खुशनुमा स्थिति है और हालात ऐसे हैं कि उनके पास काफी विकल्प हैं।
Oxfam Report: अरबपति और अमीर होते जा रहे हैं
इस समय जो खबर मिड्ल क्लास के लोगों के दिलों में चुभ रही है, वह है ऑक्सफैम नाम की अंतरराष्ट्रीय संस्था की रिपोर्ट जिसमें बताया गया है कि भारत के 21 सबसे बड़े अरबपतियों के पास देश के 70 करोड़ लोगों से ज्यादा दौलत है। दावोस में पेश की गई इस रिपोर्ट में बताया गया कि अगर भारत के अरबपतियों पर सिर्फ दो फीसदी ही टैक्स लगाया जाये तो इससे अगले तीन साल तक कुपोषण के शिकार बच्चों के लिए सभी जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2012 से 2021 तक भारत में जितनी संपत्ति सृजित हुई उसका 40 फीसदी देश के महज एक फीसदी अमीरों के हाथों में गया। वहीं 50 फीसदी जनता के हाथ में महज तीन फीसदी संपत्ति ही आई है।
देश में धन के असामान वितरण का यह पैटर्न कोई नया नहीं है और यह बढ़ता ही जा रहा है। सभी सरकारें इस ओर आंखें मूंदे रही हैं और चुप्पी साधे रही हैं।
जहां तक कॉरपोरेट कमाई की बात है तो कोरोना के कहर के बाद से ही अरबपतियों की कमाई में भारी बढ़ोतरी हुई है। बाम्बे स्टॉक एक्सचेंज के मुताबिक कई कंपनियों की कमाई में रिकॉर्ड इज़ाफा हुआ है और ऐसी कंपनियों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। कंपनियों ही नहीं, बैंकों के लाभ में भी भारी बढ़ोतरी हुई है और वे टारगेट से कहीं ज्यादा लाभ कमा रहे हैं।
कुल मिलाकर हालात वित्त मंत्री की आशा के अनुरूप हैं और वे उम्मीद कर सकती हैं कि राजस्व वसूली में कोई कमी नहीं आयेगी बल्कि बढ़ोतरी ही होगी।
Incom Tax Rebate: इनकम टैक्स में राहत की गुंजाइश है
श्रीमती सीतारमण का उनके इस टर्म का यह आखिरी पूर्ण बजट होगा क्योंकि 2024 में लोक सभा चुनाव होंगे। अब सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सामने वोटरों को खुश करने का यह आखिरी बड़ा मौका है। अब तक पार्टी समाज के विभिन्न वर्गों को कई तरह की आर्थिक मदद करके खुश रही है। लेकिन उसने मिडल क्लास के लिए कुछ भी नहीं किया, वह भी नहीं किया जिसका उसने अपने चुनावी घोषणा पत्र में जिक्र किया था। उसका कारण सीधा सा था कि प्रधान मंत्री मोदी इस वर्ग को अपना समर्पित वोटर मानते हैं लेकिन उन्हें यह भी मालूम है कि उनकी नाराजगी या कोई भी चूक उन्हें चुनाव में कठिनाई में डाल सकती है।
दूसरी बड़ी बात है कि मिडल क्लास के बचत करने की आदत को कोरोना और महंगाई के कारण भारी चोट पहुंची है। जिस भारत देश में बचत की आदत रही है और एक समय हम अपनी आमदनी का 30 फीसदी से भी ज्यादा बचत करते थे। उसमें अब जबर्दस्त कमी आई है। सिर्फ एक साल में यानी 2020-21 से 2022 तक उसके बचत में लगभग 5 फीसदी तक की कमी आई है। यानी यह 15.9 फीसदी से घटकर 10.8 फीसदी रह गया।
ध्यान रहे कि जनता से प्राप्त इस धन को सरकार अपनी कई तरह की योजनाओं में लगाती है। इसमें कमी से उसके पास भी पूंजी का अभाव होगा।
अगर मनमोहन सिंह की सरकार सुपर रिच टैक्स लगा सकती थी तो इस सरकार को भला कौन रोक सकता है? यह सरकार यूपीए की तुलना में कहीं ज्यादा मजबूत और संपन्न है। इस बार कंपनियों के रिजल्ट बहुत अच्छे हैं। उन पर पहले 30 फीसदी टैक्स लगाकर फिर घटा दिया गया है। इसमें बढ़ोतरी का वक्त आ गया है। इसलिए मध्य वर्ग को राहत दिया ही जाना चाहिए।
ऑक्सफैम की रिपोर्ट जैसी कई रिपोर्ट इस ओर इंगित कर रही हैं कि सरकार को अब कॉर्पोरेट का मोह त्याग कर देश के सबसे महत्वपूर्ण क्लास के लिए कुछ करना ही होगा और इसके लिए सरकार के पास संसाधन भी हैं। अगर कुछ चाहिए तो राजनीतिक इच्छा शक्ति जिससे काफी कुछ बदल सकता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और उन्होंंने लंबे समय तक आर्थिक पत्रकारिता की है)