बायोफ्यूल से चलने वाले भारत के पहले विमान ने भरी उड़ान, ये है प्लान
SpiceJet Biofuel Plane Test: 2012 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम(आईआईपी) ने कनाडा की मदद से वहां बायोफ्यूल से उड़ान का सफल प्रयोग किया था, अब भारत में अपने दम पर ऐसा प्रयोग किया गया है।

स्पाइस जेट आज भारत के पहले बायो फ्यूल प्लेन की टेस्टिंग सफल रही है। बायो फ्यूल से चलने वाला यह विमान देहरादून से दिल्ली के लिए उड़ा। बायो फ्यूल का कई विकसित देशों में परीक्षण सफल रहा है। इससे फ्लाइट की लागत में 20 फीसदी तक की कमी आएगी। हालांकि इस फ्लाइट में 100 फीसदी बायोफ्यूल का इस्तेमाल नहीं किया गया है। डीजीसीए ने स्पाइसजेट को 25 फीसदी बायोफ्यूल के साथ 75 फीसदी एटीएफ (एयर टर्बाइन फ्यूल) की मंजूरी दी थी। यह उड़ान सुरक्षित होगी, इसी का प्रमाण देने के लिए इसमें 20 लोग देहरादून से सवार होकर दिल्ली आए। यह 20 लोग वही थे जो इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे।
कम आएगा फ्लाइट का खर्च: अगर विमान में बायोफ्यूल इस्तेमाल होने लगा तो हर साल 4000 टन कार्बन डाई ऑक्साइड एमिशन की बचत होगी। ऑपरेटिंग लागत भी 17% से 20% तक कम हो जाएगी। भारत में बायोफ्यूल का आयात तेजी से बढ़ रहा है। 2013 में 38 करोड़ लीटर बायोफ्यूल की सप्लाई हुई, जो 2017 में 141 करोड़ लीटर तक पहुंच चुकी थी। कुल कार्बन डाई ऑक्साइड एमिशन में एयर ट्रैवल की भूमिका 2.5% है, जो अगले 30 साल में 4 गुना तक बढ़ सकती है। बायोफ्यूल इसी एमिशन पर काबू रख सकता है।
2012 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम(आईआईपी) ने कनाडा की मदद से वहां बायोफ्यूल से उड़ान का सफल प्रयोग किया था, अब भारत में अपने दम पर ऐसा प्रयोग किया है। भारत तेल आयात पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। पीएम मोदी ने भी हाल मे ‘नैशनल पॉलिसी फॉर बायोफ्यूल 2018’ जारी की थी। इसमें आने वाले 4 सालों में एथेनॉल के प्रॉडक्शन को 3 गुना बढ़ाने का लक्ष्य है। अगर ऐसा होता है तो तेल आयात के खर्च में 12 हजार करोड़ रुपये तक बचाए जा सकते हैं।
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