‘hindubusinessline’ के मुताबिक, अपने अंतरिम आदेश में SEBI ने Karvy द्वारा न केवल नए क्लाइंट्स लेने पर प्रतिबंध लगाया है, बल्कि मौजूदा ग्राहकों के भी लेन-देन पर भी रोक लगा दी है। इसी बीच, ‘businesstoday’ की खबर में SEBI के हवाले से कहा गया, “कार्वी के खिलाफ सिक्योरिटी लॉ से संबंधित नियमों के उल्लंघन पर अनुशासनिक कार्यवाही के तहत यह ताजा आदेश पारित किया गया है।”
नियामक संस्था ने इसी के साथ दो डिपॉजिटरी – NSDL और CDSL – को साफ निर्देश दिया है कि वे केएसबीएल द्वारा क्लाइंट्स का गलत तरीके से आगे इस्तेमाल न होने दें। SEBI ने इसके साथ ही यह भी कहा कि वे तत्काल प्रभाव से KSBL के किसी भी अनुदेश पर कोई प्रतिक्रिया न दें।
दरअसल, हाल ही में National Stock Exchange की जांच/निरीक्षण में खुलासा हुआ था कि KSBL ने अपने ग्रुप की कंपनी Karvy Realty को अप्रैल 2016 से अक्टूबर 2019 के बीच 1,096 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए। KSBL ने ऑफ-मार्केट ट्रांसफर के जरिए क्लाइंट्स के शेयर बेचे। रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 116 करोड़ रुपए के स्टॉक 291 क्लाइंट्स के खातों से ट्रांसफर किए गए थे, जिन्होंने जून 2019 से KSBL के साथ कोई भी लेन-देन नहीं किया था।
भोरुका एल्युमीनियम, अधिकारियों पर भी 10.65 करोड़ का जुर्मानाः सेबी ने भोरुका एल्युमीनियम लिमिटेड और उसके अधिकारियों पर कुल 10.65 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना वैश्विक डिपॉजिटरी रसीदें (जीडीआर) जारी करने में हेरा-फेरी करने के चलते लगा है। सेबी ने नवंबर-दिसंबर 2010 की अवधि में कंपनी द्वारा जारी 11.2 लाख जीडीआर की जांच की। इनका कुल मूल्य 1.04 करोड़ डॉलर (करीब 74 करोड़ रुपये) रहा। इन सभी जीडीआर को मात्र एक कंपनी विंटेज एफजेडई ने खरीदा।
सेबी ने अपनी जांच में पाया कि विंटेज एफजेडई ने इस जीडीआर को खरीदने के लिए यूरोपीयन अमेरिकन इंवेस्टमेंट बैंक (यूरम) से ऋण लिया। इस ऋण के लिए गारंटी भोरुका एल्युमीनियम ने यूरम बैंक के लिए सम्पत्ति गिरवी रखने का करार किया था। सेबी ने पाया कि यदि कंपनी बैंक को यह गारंटी नहीं देती तो विंटेज एफजेडई उसके जीडीआर निर्गम को खरीद ही नहीं पाती। इतना ही नहीं कंपनी ने बाजार में भ्रामक कारपोरेट घोषणाएं कर बाजार प्रभावित करने की कोशिश भी की।
सेबी ने कंपनी पर 10.15 करोड़ रुपये का कुल जुर्माना लगाया है। इसके अलावा कंपनी के अधिकारी एम. के. पांडुरंग शेट्टी, राजकुमार अग्रवाल और रजत अग्रवाल पर 10-10 लाख रुपये और अजय कुमार डालमिया पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। सेबी ने इसके अलावा एक अलग आदेश में तीन अन्य इकाइयों पर कुल 22.3 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। उन पर यह जुर्माना बीएसई में बिना करोबार के ठंडे पड़े शेयरों की श्रेणी में भविष्य के अनुबंधों के ठीक उलट सौदे करने में लिप्त होने के मामले में लगाया गया है।