एक नौकरीपेशा शख्स के लिए ईपीएफ (कर्मचारी भविष्य निधि) का पैसा काफी अहम होता है। इस रकम पर सरकार की ओर से ब्याज भी दिया जाता है। हालांकि, इस बार कयास लगाए जा रहे थे कि सरकार ईपीएफ पर ब्याज में कटौती कर सकती है लेकिन सरकार की ओर से करोड़ों लोगों को बड़ी राहत दी गई है।
बता दें कि सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) जमा पर ब्याज दर को 8.5 प्रतिशत पर बनाये रखने का फैसला किया है। इस संगठन की योजना में पांच करोड़ से अधिक अंशधारक जुड़े हैं। कहने का मतलब ये है कि अंशधारकों को वर्ष 2020-21 के लिए अपने जमा कोष पर 8.5 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलेगा। केन्द्रीय न्यासी बोर्ड के ब्याज दर के बारे में किये गये फैसले को अब वित्त मंत्रालय को भेजा जायेगा।
वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद ईपीएफओ अंशधारकों के खातों में चालू वित्त वर्ष के लिये 8.5 प्रतिशत की दर से ब्याज राशि डाल दी जायेगी। ब्याज दर को आधिकारिक तौर पर सरकार के गजेट में अधिसूचित किये जाने के बाद ईपीएफओ अपने अंशधारकों के खातों में ब्याज की रकम जमा करा देगा।
वर्ष 2014 के बाद से ही ईपीएफओ अपने अंशधारकों को 8.5 प्रतिशत अथवा इससे अधिक ब्याज का भुगतान कर रहा है। यह ब्याज चक्रवृद्धि ब्याज के रूप में दिया जाता है। ईपीएफओ ने वर्ष 2015- 16 से अपने कोष में से कुछ राशि शेयरों में लगानी शुरू की।
यह राशि एनएसई और बीएसई के एक्सचेंज ट्रेडिड कोषों के जरिये किया जाता है। पहले साल ईपीएफओ ने अपने कोष का पांच प्रतिशत ही इसमें निवेश किया था । यह अनुपात बढ़कर 15 प्रतिशत तक पहुंच गया है।
इससे पहले वर्ष के दौरान इस तरह की अटकलें थीं कि ईपीएफओ इस वित्तवर्ष (2020-21) के लिए भविष्य निधि जमा पर ब्याज दर को 2019-20 की 8.5 प्रतिशत दर से भी कम कर सकता है।
ब्याज दर में कमी का अनुमान, कोरोनोवायरस महामारी के मद्देनजर भविष्य निधि कोष से अधिक मात्रा में धन निकासी किये जाने और सदस्यों द्वारा कम योगदान दिये जाने की वजह से लगाया जा रहा था।