कोरोना के आर्थिक प्रभाव को कम करने में RBI ने की मदद, गवर्नर बोले-आगे और उपायों के लिए भी तैयार
शक्तिकान्त दास ने कहा कि महामारी के दौरान प्रमुख लक्ष्य आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देना था। जब हम पीछे देखते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि हमारी नीतियों की वजह से महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने में मदद मिली।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा है कि कोविड-19 की वजह से 2020 मानव समाज के लिए सबसे कठिन समय में से रहा है और इस दौरान केंद्रीय बैंक की नीतियों की वजह से महामारी के गंभीर आर्थिक प्रभावों को कम करने में मदद मिली है।
शक्तिकान्त दास ने कहा, ‘‘बीता साल मानव समाज के लिए सबसे कठिन समय में से रहा है। इस महामारी के स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव से दुनियाभर के देशों के बीच आर्थिक और सामाजिक कमजोरियां और व्यापक हुई हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह जरूरी है कि महामारी के बीच और उसके बाद वित्तीय प्रणाली के प्रबंधन के लिए एक ठोस और समझदारी वाला रुख अपनाया जाए।’’
उन्होंने कहा कि महामारी के दौरान प्रमुख लक्ष्य आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देना था। जब हम पीछे देखते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाता है कि हमारी नीतियों की वजह से महामारी के आर्थिक प्रभाव को कम करने में मदद मिली। दास ने कहा, ‘‘मैं यह कहूंगा कि रिजर्व बैंक जरूरत के मुताबिक आगे और उपायों के लिए भी तैयार है। साथ ही हम वित्तीय स्थिरता कायम रखने को भी पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं।’’
शक्तिकान्त दास ने कहा है कि वित्तीय स्थिरिता एक सार्वजनिक चीज है और सभी अंशधारकों को इसके जुझारूपन और मजबूती का संरक्षण और देखभाल करने की जरूरत है।
लोन पर HC ने आरबीआई से मांगा जवाबः बता दें कि बीते शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और आरबीआई से एक जनहित याचिका पर जवाब मांगा, जिसमें ऑनलाइन लोन देने वाले मंचों को विनियमित करने की मांग की गई है। ये मंच मोबाइल ऐप के जरिए भारी ब्याज दर पर अल्पावधि के लोन की पेशकश करते हैं, और कथित तौर पर चुकाने में देरी होने पर लोगों को अपमानित और परेशान करते हैं।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को नोटिस जारी करते हुए याचिका पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा।