क्या है रिपोर्ट में: छमाही वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में आरबीआई ने कहा है, ‘‘बैंकों को खासकर प्रतिकूल चयन पूर्वाग्रह से बचने के साथ उत्पादक और व्यवहारिक क्षेत्रों से होने वाली कर्ज मांग को लेकर सजग रहने की जरूरत है।’’ इसमें कहा गया है कि बहुत उम्मीद के साथ कोविड महामारी की दूसरी लहर का प्रभाव चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक रहना चाहिए। जबकि मुद्रस्फीति को लेकर दबाव छमाही तक बने रहने की आशंका है।
आरबीआई ने कहा कि उपभोक्ता कर्ज बैंकों के लिये पसंदीदा हो गया था। लेकिन छह महीने यानी सितंबर 2020 तक कर्ज लौटाने को लेकर दी गयी मोहलत के बाद इस मामले में स्थिति बिगड़ी है। कर्ज ले रखी आबादी के मामले में जोखिम बढ़ा है।
क्या कहते हैं आंकड़े: रिपोर्ट के अनुसार उपभोक्ता कर्ज के मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिये कर्ज भुगतान में चूक की दर जनवरी 2021 में सुधरकर 1.8 प्रतिशत रही जो एक साल पहले इसी महीने में 2.9 प्रतिशत थी। वहीं निजी क्षेत्रों के मामले में यह दोगुना होकर 2.4 प्रतिशत और गैर-बैंकिंग क्षेत्रों के लिये 5.3 प्रतिशत से बढ़कर 6.7 प्रतिशत हो गयी।
सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को कर्ज के मामले में निजी क्षेत्रों के बैंकों में 9.23 प्रतिशत की अच्छी वृद्धि हुई जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मामले में यह 0.89 प्रतिशत है। इसकी वजह आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) में तीव्र वृद्धि है। इसके तहत फरवरी 2021 तक 2.46 लाख कर्ज दिये गये।
निर्यातकों को मिली राहत: इस बीच,आरबीआई ने निर्यातकों को माल लदान से पहले और बाद की अवधि के लिए दिए जाने वाले एक्सपोर्ट लोन पर ब्याज सब्सिडी की अवधि तीन महीने बढ़ाकर 30 सितंबर 2021 तक कर दी है। बैंक के इस निर्णय से निर्यातकों को काफी राहत मिलेगी। इस योजना को अप्रैल में 30 जून 2021 तक के लिए बढ़ाया गया था।