भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने पुराने स्टैंड को एक बार फिर से दोहराते हुए देश के बड़े कॉरपोरेट घरानों को बैंकिंग लाइसेंस देने का विरोध किया है। बैंकों के निजीकरण को लेकर सरकार से हुई अनौपचारिक बातचीत में केंद्रीय बैंक ने यह बात कही है। फिलहाल सरकार और आरबीआई बैंकिंग में निजीकरण की नीतियों को तैयार करने में जुटे हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा है कि आरबीआई ने कारोबारी घरानों को बैंकिंग लाइसेंस न देने की बात कही है। इससे पहले नीति आयोग ने सरकार से सिफारिश की थी कि चुनिंदा कॉरपोरेट घरानों को भी बैंकिंग सेक्टर में एंट्री की अनुमति दी जानी चाहिए। हालांकि इसमें यह शर्त जोड़ी गई थी कि ऐसे बैंकों से कॉरपोरेट घराने अपने स्वामित्व वाली कंपनियों को लोन नहीं देंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक आरबीआई का कहना है कि यदि आद्योगिक घरानों को बैंकिंग सेक्टर में एंट्री दी जाती है तो इससे आर्थिक स्थिरता पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। सूत्रों के मुताबिक आरबीआई ने कहा कि यदि कारोबारी घरानों को बैंकिंग सेक्टर में लाया जाता है तो फिर उनके वित्तीय मामलों पर निगरानी की अधिकार आरबीआई को मिलना चाहिए। केंद्रीय बैंक के इस सुझाव पर सहमति नहीं बन पाई है। ऐसे में कॉरपोरेट सेक्टर को बैंकिंग लाइसेंस दिए जाने को लेकर भी कोई फैसला नहीं हो पाया है।
पहले भी कॉरपोरेट घरानों के ऑफर खारिज कर चुका है आरबीआई: बता दें कि बीते साल इंडियाबुल्स हाउसिंग ने लक्ष्मी विलास बैंक के साथ विलय का प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन आरबीआई ने इसे मंजूरी नहीं दी थी। इसकी वजह यह थी कि इंडियाबुल्स कई अन्य सेक्टर में दखल रखता है। फिलहाल इंड्सइंड बैंक ही भारत में एकमात्र कमर्शियल बैंक है, जिसमें हिंदुजा ग्रुप जैसे कॉरपोरेट घराने का निवेश है। इस बैंक को 1994 में आरबीआई की ओर से मान्यता मिली थी। गौरतलब है कि 2013 में भी आरबीआई ने बैंक लाइसेंस के लिए आवेदन मंगाए थे और उस दौरान आदित्य बिड़ला ग्रुप, लार्सन एंड ट्रुबो और श्रीराम कैपिटल समेत कई समूहों ने आवेदन किया था। लेकिन आरबीआई की ओर से सिर्फ बंधन बैंक और आईडीएफसी बैंक को ही अनुमति मिली थी।
6 सरकारी बैंकों के निजीकरण की है तैयारी: गौरतलब है कि सरकार देश में सिर्फ 4 से 5 सरकारी बैंक ही बनाए रखने पर विचार कर रही है। फिलहाल देश में 12 सरकारी बैंक हैं, जिनमें से करीब आधा दर्जन बैंकों के निजीकरण की तैयारी की जा रही है। यही नहीं कुछ अन्य बैंकों में भी सरकार अपनी हिस्सेदारी को कम कर सकती है।