डीईआरसी ने शुक्रवार को दिल्ली की जनता को चिलचिलाती गर्मी में बिजली की कीमत में चार से छह फीसद तक की बढ़ोतरी कर झटका दे दिया। हालांकि इस बाबत अभी संशय बरकरार है। इसे लेकर दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) और दिल्ली सरकार आमने-सामने आ गई है। दिल्ली सरकार ने साफ कर दिया है कि वह डीईआरसी के इस फैसले पर सहमत नहीं है। दिल्ली सरकार के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने साफ कर दिया कि सरकार इस बाबत कानूनी पहलुओं पर विचार कर रही है जिससे दिल्ली में बिजली के दाम नहीं बढ़े।
डीईआरसी ने बिजली की दरों में चार से छह फीसद तक का इजाफा किया है। बीएसईएस ने छह फीसद, टीपीडीडीएल ने पांच और एनडीएमसी क्षेत्र में भी पांच फीसद की बढ़ोतरी की है। बढ़ी हुई दरें 15 जून से लागू होंगी।
डीईआरसी ने बिजली विपणन कंपनियों की पावर परचेज एडजस्टमेंट याचिका के अध्ययन के बाद सरचार्ज बढ़ाने का फैसला किया है। बिजली दरों में बढ़ोतरी को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार और डीईआरसी के बीच मतभेद थे। दिल्ली सरकार की तरफ से बिजली दरें नहीं बढ़ाने के साफ संकेत दिए जाने के बावजूद दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन ने मौजूदा दर की समीक्षा का काम शुरू कर दिया था।
आप सरकार ने डीईआरसी को आड़े हाथों लेते हुए पिछले कुछ साल में बिजली की दरों में बढ़ोतरी पर कमीशन से सफाई मांगी था। आप सरकार ने परोक्ष तरीके से डीईआरसी से कहा था कि वह तब तक दरों में बढ़ोतरी पर फैसला न करे, जब तक कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियों का आॅडिट पूरी नहीं कर लेता। सरकार निजी कंपनियों के कामकाज के तरीके की जांच पर काम कर रही है कि वे किस आधार पर घाटा दिखा रहे हैं। दिल्ली सरकार साफ कर चुकी है कि वह आम आदमी पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ने देगी।