आम तौर पर लोग अपने भविष्य की सुरक्षा, किसी भी तरह की आपात स्थिति से बचाव और हादसे होने की आशंका से निपटने के लिए बीमा करवाते हैं। बीमा की पॉलिसी ऐसे वक्त में काफी महत्वपूर्ण होती है। लेकिन हालात बिगड़ने पर जब पॉलिसी क्लेम को क्लियर कराने का वक्त आता है तो उसमें तमाम तरह के झंझट दिखाई पड़ते हैं। कई बार वह बहुत कठिन और पहुंच से बाहर जैसा हो जाता है। इसकी बड़ी वजह हम खुद होते हैं।
दरअसल जब हम बीमा पॉलिसी लेते हैं तब अपने बारे में कई चीजें या तो छिपा देते हैं या फिर हम जिस एजेंट के माध्यम से बीमा लेते हैं, उसे बताते नहीं हैं। इससे वह अपनी जानकारी के हिसाब से हमारा बीमा फार्म जिसे प्रपोजल फार्म या प्रस्ताव प्रपत्र कहते हैं, भर देता है।
प्रपोजल फार्म सभी बीमा अनुबंधों का आधार है और बीमाकर्ता और बीमाधारक के बीच समझौते का हिस्सा है। इसमें जिस व्यक्ति का बीमा किया गया है, उसका व्यक्तिगत विवरण, उसका बीमा इतिहास और बीमा किए जा रहे विषय से संबंधित जानकारी शामिल होती है।
कई बार ऐसी स्थितियां आती हैं कि जब हम बीमा करवाते हैं, तब अपने बारे में सभी जानकारी नहीं देते हैं। इसके चलते मुसीबत के दौरान कई बार हमारा दावा या क्लेम रिजेक्ट या अस्वीकार कर दिया जाता है।
जीवन के साथ-साथ स्वास्थ्य बीमा में दावा अस्वीकार किए जाने के सबसे सामान्य कारणों में से एक उच्च रक्तचाप (Hypertension), मधुमेह (Diabetes), थायरॉयड (Thyroid), किसी तरह की सर्जरी (surgery) आदि स्थितियों का खुलासा न करना हैं। आमतौर पर प्रपोजल फार्म में 8-10 चिकित्सा प्रश्नों की एक सूची होती है, जिन्हें पढ़ने और सही उत्तर देने की आवश्यकता होती है। यह प्रस्तावक – यानी पॉलिसीधारक – का कर्तव्य है कि वह सभी सूचनाओं को सही ढंग से घोषित करे।
अगर आप चाहते हैं कि आपका क्लेम जल्द से जल्द क्लियर हो जाए तो पिछली पॉलिसियों का पूरी जानकारी बीमा कराते समय जरूर दें। तंबाकू, धूम्रपान और शराब जैसी आदतों का खुलासा न करें। यहां तक कि अगर आप इनमें से किसी एक या सभी का कभी-कभार सेवन करते हैं, तो प्रस्ताव फॉर्म में इसका खुलासा करना सबसे अच्छा है।
बीमा कवर के लिए आवेदन करते समय आपका पेशा भी महत्वपूर्ण होता है। आम तौर पर, उच्च जोखिम (High Risk) वाली बीमा पॉलिसियों में प्रीमियम कुछ अधिक होता हैं। इसलिए ऐसी पॉलिसी लेते वक्त यह भी साफ-साफ बताएं कि आप का मुख्य व्यवसाय क्या है।