इमरजेंसी किसी के सामने कभी भी आ सकती है। यह कई तरह की हो सकती है और इसके लिए लोगों को कई बार काफी मोटी रकम की जरूरत पड़ जाती है। ऐसे में इमरजेंसी फंड बड़े काम का साबित होता है। हालांकि, बहुत सारे लोग न तो इस पर अधिक ध्यान देते और न ही इसे मैनेज करते हैं। आइए जानते इमरजेंसी फंड से जुड़ी जरूरी बातें, जो आपकी आर्थिक स्थिति को थोड़ा मजबूत बना सकती हैं:
इमरजेंसी फंड वह जरूरी कोष होता है, जो आपको आपात स्थिति से निपटने के लिए अलग रखना चाहिए। यह अप्रत्याशित और अनियोजित परिदृश्यों में बड़ा काम आता है। इसे कभी भी नियमित खर्चों को पूरा करने के लिए नहीं इस्तेमाल किया जाना चाहिए। बजट और फिनांस एक्सपर्ट्स बताते हैं कि यह फंड हमेशा लिक्विड फॉर्म में होना चाहिए। मतलब आपको जब इसकी जरूरत हो, तब इसे झटपट हासिल कर सकें। ऐसा न हो कि आपको इमरजेंसी में पैसे अभी चाहिए हों, पर आपने जहां पैसे सुरक्षित रखें हैं वहां से आपको तीन दिन बाद मिलें। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि पैसा जहां पर लगाया या सेव किया हो, वहां उसकी वैल्यू घटे नहीं और ठीक-ठाक रिटर्न दे।
जानकारों के मुताबिक, बचत के लिहाज से यह काफी कारगर तरीका होता है। हर किसी के पास एक इमरजेंसी फंड रहना चाहिए, ताकि मुसीबत की घड़ी में आपको किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े और न ही परेशान होना पड़े। एक्सपर्ट्स सलाह देते हैं कि इमरजेंसी फंड किसी भी व्यक्ति की मंथली इनकम का तीन से छह गुणा होना चाहिए।
चूंकि, इमरजेंसी फंड एकदम से नहीं खड़ा होता, इसलिए आपको धीरे-धीरे इसे बड़ा करना होगा। अगर आप अभी इस पर ध्यान नहीं देते या फिर अपनी सेविंग्स को इस स्तर पर नहीं ला सकें तो फौरन इस पर काम करना शुरू कर दें। हर महीने अपनी सैलरी का एक हिस्सा एक अलग खाते में जमा कर के रखें, जिसे आप इमरजेंसी फंड समझें।
कुछ एक्सपर्ट्स इमरजेंसी फंड्स को दो श्रेणियों में बांट देते हैं। पहला- लॉन्ग टर्म इमरजेंसी फंड, जबकि दूसरा शॉर्ट टर्म इमरजेंसी फंड। लॉन्ग टर्म वाला आपको किसी प्राकृतिक आपदा या फिर मेडिकल इमरेंजी या फिर बड़ी दुर्घटना के समय काम आ सकता है। कोशिश करें कि इस फंड के लिए वह इंस्ट्रूमेंट चुनें, जिसमें ब्याज अधिक मिले। वहीं, शॉर्ट टर्म इमरजेंसी फंड ऐसे हों, जहां से आप आपात स्थिति में जल्द से जल्द पैसे पा सकें। इस तरह के फंड में ब्याज पर अधिक ध्यान नहीं देना चाहिए।
बैंक या पोस्ट ऑफिस के सेविंग्स अकाउंट में आप इमरजेंसी फंड की रकम रखते हैं। रिकरिंग डिपॉजिट (आरडी) भी रख सकते हैं। आप इसके अलावा फिक्स्ड टर्म डिपॉजिट्स में रकम अपनी सहूलियत (ड्यूरेशन) के हिसाब से जमा कर सकते हैं।