पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम को मोदी सरकार का इकोनॉमिक सर्वे पसंद नहीं आया है। मंगलवार को इकोनॉमिक सर्वे पेश किया गया था, जिसे लेकर चिदंबरम का कहना है कि इसमें ऑब्जेक्टिव दृष्टिकोण की कमी है और सरकार रियरव्यू मिरर से देख रही है।
उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि इकोनॉमिक सर्वे में से अधिकांश रीरव्यू मिरर है। उन्होंने कहा कि पिछले साल क्या हुआ या पिछले पांच सालों में क्या हुआ। यह जरूरी है लेकिन इससे ये नहीं पता चलता कि हम आगे क्या देख सकते हैं। उन्होंने नुकसान के बारे में चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार का ध्यान स्थिति से निपटने के तरीके के बजाय रियरव्यू मिरर के जरिए देखने पर है। कांग्रेस नेता ने कहा कि यह आर्थिक सर्वेक्षण बहुत विभागीय नजरिया लगता है। यह अर्थव्यवस्था का वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण नहीं रखता है।
उन्होंने कहा कि आपने इसमें सभी नाकारात्म कारकों को शामिल किया, लेकिन फिर आप कह रहे हैं कि आपके अनुसार सरकार को इन समस्याओं से कैसे निपटना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसे लेकर यही मेरा सवाल है कि आप इन नाकारत्मक कारकों से निपटने के लिए सलाह को यह नहीं बताते हैं कि इसके लिए आपके पास क्या विकल्प हैं।
उन्होंने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण में कहीं नहीं मिला कि नकारात्मक कारकों के लिए क्या किया जाना चाहिए … यही इस इकोनॉमिक सर्वे के साथ समस्या है। उन्होंने आगे कहा, विश्व अर्थव्यवस्था धीमी हो जाएगी, प्रमुख उन्नत अर्थव्यवस्थाएं मंदी की चपेट में आ जाएंगी और दुनिया में सुरक्षा की स्थिति खराब हो जाएगी। वास्तव में रूस-यूक्रेन युद्ध पिछले 10 दिनों में तेज हुआ है। वहीं, चीन निश्चित रूप से एक तरफ रूस को उकसा रहा है।”
उन्होंने आगे कहा, “कारण जो भी हों तीन बातें स्पष्ट हैं इससे विश्व अर्थव्यवस्था धीमी हो जाएगी, प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं मंदी की चपेट में आ जाएंगी और 2023-24 में सुरक्षा की स्थिति और खराब हो जाएगी। अब, इन तीन लगभग निश्चित घटनाओं को देखते हुए, आप (सीईए) को सरकार को सलाह देनी चाहिए कि आप इन घटनाओं के प्रभाव को कैसे कम करते हैं, जो कि सर्वेक्षण में नहीं है।”