Union Budget 2023-24 India: Freebies को लेकर देश में लगातार बहस जारी है। विभिन्न राज्य सरकारें और केंद्र सरकार इस विषय पर आमने-सामने हैं। फ्रीबीज को लेकर जारी इस बहस के बीच आने वाले बजट से मिडिल क्लास (मध्य वर्ग) को बहुत उम्मीदें हैं। बजट से पहले एक इंटरव्यू के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने कहा कि सरकार ने मीडिल क्लास की जेब में पैसा नहीं डाला लेकिन उन्हें मेट्रो और स्मार्ट शहर दिए जिससे उनका जीवन आसान हो गया।
RSS के मुखपत्र पाञ्चजन्य (RSS Mouthpiece Panchjanya) से को दिए इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इस बारे में पड़ने का कोई मतलब नहीं की फ्रीबीज क्या है और क्या नहीं। मुख्य मुद्दा यह है कि यदि आपके पास पैसा है, तो वादे करें और जो आप चाहते हैं उसे दें और अंत में भुगतान करें।
Budget 2023 से मीडिल क्लास की उम्मीदों को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, “मैं मिडिल क्लास का प्रेशर महसूस कर सकती हूं… लेकिन मुझे बताइए… क्या अभी तक मिडिल क्लास पर कोई नया टैक्स (New Tax) लगा है। पांच लाख रुपये सैलरी तक कोई टैक्स नहीं है। हम 27 शहरों तक मेट्रो लेकर गए हैं। क्या यह मिडिल क्लास के लिए नहीं है?”
वित्त मंत्री ने आगे कहा कि मिडिल क्लास आज नौकरियों और व्यापार की तलाश में गांवों से शहर की तरफ माइग्रेट कर रहा है। हमने 100 से ज्यादा स्मार्ट शहर बनाने के लिए फंड दिए हैं। क्या यह मिडिल क्लास की लाइफ आसान बनाने के लिए नहीं है? मैंने मिडिल क्लास के हर व्यक्ति की जेब में सीधे तौर पर पैसा नहीं डाला है लेकिन ये सुविधाएं 100 स्मार्ट शहरों के जरिए प्रदान की गई हैं।”
‘Freebies से राज्य की हालत न हो खराब’
इंटरव्यू के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फ्रीबीज (freebies) के मुद्दे पर विस्तार से बात की। फ्रीबीज के मुद्दे पर राज्य सरकारों और केंद्र के बीच बहस छिड़ी हुई है। राज्यों ने सवाल किया है कि राज्य सरकारों की वेलफेयर स्कीम्स को फ्रीबीज क्यों कहा जा रहा है जबकि केंद्र के अनुदानों को जनहित में बताया जाता है।
उन्होंने कहा, “मुद्दा यह नहीं है कि क्या freebie है और क्या नहीं। आप चुनाव से पहले कुछ वादा करते हैं। जैसे- आप फ्री बिजली का वादा करते हैं। जब आप सत्ता में आते हैं तभी आप राज्य की वित्तीय स्थिति के बारे में जान पाते हैं। मान लीजिए कि राज्य की वित्तीय हेल्थ अच्छी है तो आप फ्री बिजली दे सकते हैं। आपको इसे बजट में भी दिखाइए और साल के अंत में आपकी बैलेंस शीट बेहतर होनी चाहिए। तब यह फ्रीबीज नहीं है।” हालांकि, निर्मला सीतारमण ने स्पष्ट किया कि यह भी एक हद तक होना चाहिए क्योंकि बजट का इस्तेमाल संपत्ति निर्माण के लिए किया जाना चाहिए, न कि दैनिक खर्चों के लिए।