हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने IDBI बैंक लिमिटेड में हिस्सेदारी बेचने और मैनेजमेंट के ट्रांसफर को मंजूरी दी थी। अब IDBI बैंक को एक अच्छी खबर मिली है।
दरअसल, ब्रिटेन में भारत के इस बैंक को 23.9 करोड़ डॉलर के कर्ज के मामले में बड़ी जीत मिली है। लंदन के हाईकोर्ट ने भारतीय कंपनी एस्सार शिपिंग ग्रुप की साइप्रस स्थित एक सब्सिडरी कंपनी के खिलाफ आईडीबीआई बैंक के पक्ष में फैसला सुनाया। यह ब्रिटेन की किसी भी अदालत में किसी भारतीय बैंक के पक्ष में कर्ज से संबंधित मामले में सुनाए गए सबसे अहम फैसलों में से एक है।
क्या है मामला: आपको बता दें कि मुंबई के बैंक आईडीबीआई ने मार्च 2013 में दो जैक अप ड्रिलिंग रिग के निर्माण के लिए सिंगापुर में पंजीकृत दो कंपनियों – वरदा ड्रिलिंग वन प्राइवेट लिमिटेड और वरदा ड्रिलिंग टू प्राइवेट लिमिटेड के साथ 14.8 करोड़ डॉलर के लोन का करार किया था। कर्जदारों की मूल कंपनी साइप्रस में पंजीकृत आईटीएच इंटरनेशनल ड्रिलिंग होल्डको लिमिटेड ने कर्ज के लिए कॉरपोरेट गारंटी दी थी। कर्ज और गारंटी ब्रिटिश कानूनों के तहत दिए गए थे और इसलिए ब्रिटिश अदालतों के न्याय क्षेत्र के अधीन आते हैं।
मामले में आईडीबीआई की पैरवी लंदन की कानूनी सेवा देने वाली कंपनी टीएलटी एलएलपी कर रही है। ये कंपनी इस समय भारतीय स्टेट बैंक ने नेतृत्व वाले 13 भारतीय बैंकों के एक समूह का भी प्रतिनिधित्व कर रही है। इस समूह ने विजय माल्या के खिलाफ 1.145 अरब पाउंड के कर्ज की वापसी के लिए ब्रिटेन में मामला दायर किया है। (ये पढ़ें- 7th Pay Commission: दिव्यांग कर्मचारियों के लिए है ये नियम)
IDBI बैंक की जीत अहम क्यों: ये खबर ऐसे समय में आई है जब केंद्र सरकार ने IDBI बैंक में अपनी हिस्सेदारी बेचने का ऐलान किया है। आईडीबीआई बैंक की 94 फीसदी से भी अधिक हिस्सेदारी भारत सरकार और एलआईसी के पास है। भारत सरकार 45.48 फीसदी और एलआईसी 49.24 फीसदी हिस्सेदारी के साथ बैंक से जुड़ा है। एलआईसी के पास ही बैंक का मैनेजमेंट कंट्रोल भी है। (कोरोना काल में बदले हैं नाइट ड्यूटी अलाउंस के नियम, ऐसे मिलेगा फायदा)