देश की दिग्गज आईटी कंपनियों में कर्मचारियों को निकालने का सिलसिला लगातार जारी है। इसी क्रम में विप्रो, कॉग्निजेंट और इंफोसिस से कर्मचारियों को बाहर करने की खबरें सामने आई थीं। देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी के को-फाउंडर और टेक टाइटन नारायण मूर्ति ने छटनी के संकट को रोकने के लिए अपना सुझाव दिया। मूर्ति ने कहा कि उच्च पदों पर बैठे अधिकारी अपने सैलरी पैकेज में कमी करके जूनियर कर्मचारियों की नौकरी बचा सकते हैं। उन्होंने ईटी नाऊ से बातचीत में कहा, “मुझे ऐसा लगाता है कि हमारे लिए युवाओं की नौकरी बचाना संभंव है। अगर सीनियर मैनेजमेंट के लोग अपनी सैलरी में कुछ समायोजन करें और कटी सैलरी लें तो नौकरियों को सुरक्षित रखना संभंव है।”
मूर्ति ने इंफोसिस का ही उदाहरण देते हुए कहा कि जब साल 2001 में आईटी मार्केट संकट के दौर से गुजर रहा था तो हम सबने कंपनी के सीनियर मैनेजमेंट के लोगों के साथ मीटिंग की। मीटिंग में हमने कहा कि देखो हम कुछ बलिदान करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि हम युवाओं की नौकरियों की रक्षा करें। बता दें कि कुछ समय पहले इंफोसिस के को-फाउंडर नारायण मूर्ति और कंपनी के बोर्ड के बीच विवादों की खबरें आई थी। मूर्ति ने कंपनी के शीर्ष पदों पर लोगों को 60 से 70 प्रतिशत हाइक दिए जाने को लेकर सवाल उठाए थे। मूर्ति ने आईटी कंपनियों की ओर से हो रही भारी-भरकम छटनी पर दुख भी व्यक्त किया था।
कुछ समय से आईटी कंपनियों में बड़े पैमाने पर छटनी की खबरें आ रही हैं। कंपनियों का कहना है कि वो ऐसा अपनी लागत को कम करने के लिए कर रही हैं। देश की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी इंफोसिस ने भी अपने सीनियर और मिड लेवल के कर्मचारियों की छटनी की थी। कंपनी ने कर्मचारियों को सालाना परफॉर्मेंस के आधार पर बाहर का रास्ता दिखाया था। विशेषज्ञों का कहना है कि काफी आईटी कंपनियां अपनी धीमी ग्रोथ के चलते परेशान हैं। तकनीक तेजी से बदल रही है। इसके अलावा कई देशों में वीजा के नियमों में बदलाव होने से भी कंपनियों पर असर पड़ा है। इंफोसिस के अलावा विप्रो और कॉग्निजेंट भी छटनी की गई थी।