देश के 17वें सबसे अमीर शख्स और आईटी कंपनी विप्रो के मुखिया अजीम प्रेमजी को दौलत के साथ ही दानवीरता के लिए भी जाना जाता है। एक दौर में कुकिंग ऑयल तैयार करने वाली कंपनी वेस्टर्न इंडियन वेजिटेबल प्रोडक्ट्स को विप्रो के तौर पर स्थापित करने का श्रेय अजीम प्रेमजी को ही जाता है, जिन्होंने 1966 में पिता के निधन के बाद कारोबार की बागडोर संभाली थी। हाल ही में 75 वर्ष के हुए अजीम प्रेमजी ने बीते 54 सालों में विप्रो को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का काम किया है। प्रेमजी उस वक्त अमेरिका की स्टैनडफर्ड यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रैजुएशन कर रहे थे, जब पिता की मौत की खबर मिली। उसके बाद से कारोबार में जुटे अजीम प्रेमजी तब से अनवरत लगे हुए हैं। हालांकि विप्रो को सबसे बड़ा उछाल अपने किसी प्रयास से नहीं बल्कि सरकार के एक फैसले मिला था। आइए जानते हैं, क्या था वह फैसला और कैसे विप्रो को मिला फायदा…
खुद अजीम प्रेमजी ने एक बार कहा था कि उन्हें 1977 की जनता पार्टी सरकार के एक फैसले से फायदा मिला था, जिसके चलते दुनिया की दिग्गज आईटी कंपनी आईबीएम को भारत छो़ड़ना पड़ा था। दरअसल देश में आपातकाल हटने के बाद पहली बार गैर-कांग्रेस सरकार का गठन हुआ था। जनता पार्टी की इस सरकार के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई थे। सोशलिस्टों के बहुमत वाली इस सरकार ने फैसला लिया था कि 60 पर्सेंट कर्मचारी भारतीय होने चाहिए। इस पर आईबीएम और सरकार के बीच खींचतान चली और अंत में मल्टीनेशनल कंपनी ने भारत ही छोड़ दिया था।
विप्रो के चेयरमैन कहते हैं कि आईबीएम के भारत छोड़ने से भारत में कम्प्यूटर तकनीकी के नए अवसर खुले। इसके बाद सरकार ने पूरे देश में कम्प्यूटर एजुकेशन को बढ़ावा देना शुरू किया। प्रेमजी कहते हैं, ‘इस मौके को भुनाते हुए हमने कम्प्यूटर तैयार करने की दिशा में प्रयास शुरू किए। 1981 में विप्रो ने कम्प्यूटर बनाना शुरू कर दिया था। इसके बाद से ही कंपनी को विस्तार मिलना शुरू हुआ और उसकी पहचान दुनिया भर में आईटी कंपनी के तौर पर हुई।’ यही नहीं इस फैसले का फायदा एचसीएल को भी मिला था।
अजीम प्रेमजी कहते हैं कि इसके चलते कारोबार के अलावा खुद उनके भीतर भी बदलाव देखने को मिले थे। उन्होंने कहा कि मैं 1966 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रैजुएशन पूरी नहीं कर पाया था, जिसे मैंने 1994 में डिस्टेंस एजुकेशन के जरिए पूरा किया। अजीम प्रेमजी के मुताबिक शुरुआती दौर में कारोबार संभालना उनके लिए बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा था और कुकिंग ऑयल जैसे बिजनेस में वह सेटल नहीं हो पा रहे थे।