रेलवे के 205 प्रॉजेक्ट्स में देरी के चलते 2.21 लाख करोड़ रुपये बढ़ा अतिरिक्त बोझ, 12 साल देरी से चल रहे हैं काम
रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2018 तक इन 205 प्रोजेक्ट्स की कीमत 1,68,116.34 करोड़ रुपए थी लेकिन अब इन 205 प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की अनुमानित लागत 3,89,745.97 रुपए आंकी गई है।

रेलवे के 205 प्रॉजेक्ट्स में देरी के चलते 2.21 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त बोझ बढ़ चुका है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) की एक ताजा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। बता दें कि एमओएसपीआई केंद्र सरकार के उन सभी प्रोजेक्ट के खर्च की निगरानी करती है जिनका खर्च 150 करोड़ रुपए से ज्यादा होता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2018 तक इन 205 प्रोजेक्ट्स की कीमत 1,68,116.34 करोड़ रुपए थी लेकिन अब इन 205 प्रोजेक्ट्स को पूरा करने की अनुमानित लागत 3,89,745.97 रुपए आंकी गई है। यानि कि लागत में 131.83 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। यही नहीं दिसंबर 2018 में एमओएसपीआई ने भारतीय रेलवे के 367 प्रोजेक्ट्स की निगरानी की थी इस दौरान पाया गया कि 94 प्रोजेक्ट्स पर काम देरी से चल रहा है या फिर ये प्रोजेक्ट्स एक से लेकर 324 महीने की देरी से चल रहे हैं।
रेलवे के अलावा पॉवर सेक्टर में भी कई प्रोजेक्ट्स अतिरिक्त बोझ की मार झेल रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पॉवर सेक्टर के 95 में से 40 प्रोजेक्ट्स पर 63,334.88 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ है। इन 40 प्रोजेक्ट्स की असल कीमत 1,72,830.59 करोड़ रुपए थी। लेकिन अब इनको पूरा करने की अनुमानित लागत 2,36,165.47 करोड़ रुपए आंकी गई है। वहीं पॉवर सेक्टर के 95 में से 56 प्रोजेक्ट 2 से लेकर 147 महीने की देरी से चल रहे हैं।
रेलवे और पॉवर सेक्टर के बाद रोड ट्रांसपोर्ट और हाइवे सेक्टर तीसरा सबसे ज्यादा अतिरिक्त बोझ वाला क्षेत्र है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस क्षेत्र के 605 में से 49 प्रोजेक्ट्स 15,000.56 करोड़ रुपए के अतिरिक्त बोझ की मार झेल रहे हैं। इन प्रोजेक्ट्स की असल कीमत 29,654.32 रुपए थी लेकिन अब इन सभी को पूरा करने की अनुमानित लागत 44,654.88 रुपए आंकी गई है। कुल प्रोजेक्ट्स में से 112 प्रोजक्ट्स 1 से लेकर 131 महीनों की देरी से चल रहे हैं।
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