केयर्न टैक्स विवाद में भारत सरकार सक्रिय, ब्रिटेन की कंपनी के पक्ष के फैसले को दी चुनौती
केयर्न एनर्जी से 10,247 करोड़ रुपये की टैक्स मांग के फैसले को पलटने वाले मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को अदालत में चुनौती दी है।

ब्रिटेन की कंपनी केयर्न एनर्जी से टैक्स विवाद में अब भारत सरकार सक्रिय हो गई है। जानकारी के मुताबिक भारत सरकार ने इस विवाद में हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता अदालत में चुनौती दी है।
बताया जा रहा है कि केयर्न एनर्जी से 10,247 करोड़ रुपये की टैक्स मांग के फैसले को पलटने वाले मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को अदालत में चुनौती दी है। तीन महीने में यह दूसरा मौका है जब सरकार ने अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती दी है। हालांकि, वित्त मंत्रालय के प्रवक्ता से इस बारे में ई-मेल के जरिये पूछा गया, लेकिन उनकी तरफ से फिलहाल कोई जवाब नहीं आया है।
तीन सदस्यीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश को हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता अदालत में चुनौती दी गयी है। न्यायाधिकरण ने केयर्न एनर्जी से भारत की 10,247 करोड़ रुपये की टैक्स मांग को खारिज कर दिया था और सरकार को बेचे गये शेयर का मूल्य, जब्त लाभांश और रोके गये कर ‘रिफंड’ वापस करने का आदेश दिया। यह कदम ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की भारत यात्रा से कुछ सप्ताह पहले उठाया गया है।
एक अन्य सूत्र के अनुसार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को 26 अप्रैल को भारत आना है। अपनी यात्रा के दौरान वह भारत से अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता न्यायाधिकरण के आदेश का सम्मान करने के मामले में चर्चा कर सकते हैं।
इससे पहले, सरकार ने दिसंबर में सिंगापुर अदालत में एक अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें वोडाफोन समूह पीएलसी से 22,100 करोड़ रुपये की टैक्स मांग को खारिज कर दिया गया था। चूंकि वोडाफोन मध्यस्थता मामले में मुख्यालय सिंगापुर था, ऐसे में अपील उसी देश में की गयी। केयर्न मध्यस्थता अदालत के मामले में मुख्य कार्यालय हेग है, इसलिये नीदरलैंड स्थित अदालत में आदेश को चुनौती दी गयी है।
केयर्न के सीईओ ने लिखा था पत्र: आपको बता दें कि केयर्न एनर्जी के सीईओ साइमन थॉमसन ने लंदन में भारत के उच्चायुक्त को 22 जनवरी के पत्र लिखा था। इस पत्र में कहा था कि मध्यस्थता आदेश ‘‘अंतिम और बाध्यकारी’’ है। भारत सरकार इसकी शर्तों को मानने के लिए बाध्य है। पत्र में लिखा था कि भारत ने न्यूयॉर्क कन्वेंशन पर हस्ताक्षर किया गया है, इसलिए आदेश को दुनिया भर के कई देशों में भारतीय संपत्ति के खिलाफ लागू किया जा सकता है, जिसके लिए आवश्यक तैयारियां की जा चुकी हैं। ( इनपुट: भाषा)