कॉरपोरेट के बाद अब मिडल क्लास की बारी, दिवाली से पहले INCOME TAX में छूट की मिल सकती है सौगात
अधिकारी पुरातन इनकम टैक्स कानूनों को आसान करने और टैक्स दरों को तर्कसंगत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।

अर्थव्यवस्था की धीमी पड़ती रफ्तार को रोकने के लिए मोदी सरकार बीते कुछ वक्त से लगातार कई बड़े कदम उठा रही है। हाल ही में सरकार ने कॉपोरेट टैक्स दरों में कटौती कर भारतीय उद्योगों को बड़ी राहत दी थी। इस फैसले को हर तरफ से तारीफ मिली थी। अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि सरकार पर्सनल इनकम टैक्स रेट्स में भी कुछ बदलाव कर सकती है। मसकद खपत को बढ़ावा देकर ग्रोथ को रफ्तार देना है।
हिंदुस्तान टाइम्स में सरकारी सूत्रों के हवाले से छपी खबर के मुताबिक, अधिकारी पुरातन इनकम टैक्स कानूनों को आसान करने और टैक्स दरों को तर्कसंगत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। डायरेक्ट टैक्स कोड (DTC) के लिए बने टास्क फोर्स की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए एक रिपोर्ट तैयार की गई है, जिसे 19 अगस्त को दाखिल किया गया। मसकद यह है कि ज्यादा से ज्यादा लोग टैक्स कानूनों का पालन करें, टैक्स बेस बढ़े और टैक्सदाताओं का जीवन आसान हो।
रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि इस फैसले का सरकारी खजाने पर कितना बोझ पड़ेगा, इस बात को ध्यान में रखते हुए विभिन्न विकल्पों के बारे में विचार किया जा रहा है। हालांकि, कोशिश यही है कि हर टैक्सदाता को कम से कम 5 पर्सेंटेज पॉइंट का फायदा मिले।
जिन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, उनमें से एक तो यह है कि 5 लाख से 10 लाख रुपये के बीच टैक्सेबल आमदनी वाले लोगों के लिए 10% का स्लैब लाया जाए। वर्तमान में इस आय वर्ग के लिए 20% का टैक्स स्लैब तय है। जिन अन्य विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, उनमें सेस या सरचार्ज को हटाना या दूसरी तरह की टैक्स छूट देना भी शामिल है। इसके अलावा, सबसे बड़े स्लैब 30 प्रतिशत को घटाकर 25 पर्सेंट करने पर विचार किया जा रहा है।
बता दें कि वर्तमान में 3 से 5 लाख रूपये की टैक्सेबल आमदनी वाले लोगों के लिए 5 प्रतिशत की दर लागू है। वहीं, 5 से 10 लाख आयवर्ग के लिए 20 प्रतिशत जबकि 10 लाख से ऊपर सालाना आय वालों के लिए 30 प्रतिशत की टैक्स दर लागू है। वहीं, ढाई लाख सालाना तक की आय वालों के लिए कोई इनकम टैक्स नहीं है।
एक्सपर्ट को उम्मीद है कि टैक्स दरों को लेकर आखिरी फैसले के बारे में दिवाली से पहले ऐलान किया जा सकता है। सरकार को उम्मीद है कि इससे तुरंत डिमांड बढ़ेगी और ग्रोथ को रफ्तार देने में मदद करेगी। बता दें कि भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार जून तिमाही में छह साल के सबसे न्यूनतम स्तर 5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी।