Reported by Soumyarendra Barik: 5G Spectrum के लिए नीलामी जुलाई में होने वाली है। इसके बाद कुछ शहरों के लिए इसे शुरू कर दिया जाएगा और बाद में इसका विस्तार अन्य शहरों के लिए किया जाएगा। द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, दूरसंचार विभाग (DoT) के एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा है कि आगामी 5G नीलामी से सरकार 80,000 करोड़ रुपए से 1 लाख करोड़ रुपए के बीच जुटाने की उम्मीद कर रही है।
अधिकारी ने कहा कि नीलामी के लिए लगभग 4 लाख करोड़ रुपए के सभी स्पेक्ट्रम को बेचा नहीं जा सकता है, जिसमें प्रीमियम 700 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड भी शामिल है। अधिकारी ने कहा कि 26 जुलाई को होने वाली नीलामी 600 मेगाहर्ट्ज, 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1,800 मेगाहर्ट्ज, 2,100 मेगाहर्ट्ज, 2,300 मेगाहर्ट्ज, 3,300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज़ बैंड के स्पेक्ट्रम के लिए होगी।
अधिकारी ने कहा कि सभी स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए रख दिए गए हैं, लेकिन उम्मीद नहीं है कि दूरसंचार कंपनियां इसके लिए बोली लगाएंगी। अधिकारी ने कहा कि 80,000 करोड़ रुपए से 1 लाख करोड़ रुपए की बोलियां मिलने की उम्मीद है। बता दें कि सरकार का अनुमान विश्लेषकों द्वारा किए गए पूर्वानुमानों के अनुसार है।
IIFL सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नीलामी में 71,000 करोड़ रुपए की बोली लग सकती है, जबकि आपूर्ति पूरी मात्रा में है। वहीं सरकार ने ट्राई के प्रस्तावित आरक्षित कीमतों में कटौती नहीं की है। रिपोर्ट में बताया गया है कि दूरसंचार कंपनियां 10 में से केवल 4 बैंड के लिए बोली लगाती हैं। ऐसे में स्पेक्ट्रम को आधार मूल्य पर बेचा जाना चाहिए। आईआईएफएल ने अपनी रिपोर्ट में कहा, Jio, Airtel और VI के लिए 37,500 करोड़ रुपए, 25,000 करोड़ रुपए और 8,500 करोड़ रुपए के स्पेक्ट्रम खरीद का अनुमान है।
DoT द्वारा जारी नोटिस इनवाइटिंग एप्लीकेशन (NIA) के अनुसार, सरकार ने 5G एयर वेव का रिजर्व प्राइज को अनचेंज रखा है। वहीं टेलीकॉम ऑपरेटरों ने 2018 के स्तर से एयर वेव्स के रिजर्व प्राइज में लगभग 90 प्रतिशत की कमी करने की मांग की थी, लेकिन कैबिनेट की अंतिम मंजूरी में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिशों के अनुसार कीमतों में लगभग 35-40 प्रतिशत की कमी शामिल है।
गौरतलब है कि नियामक निकाय ने सुझाव दिया था कि 3,300-3,670 मेगाहर्ट्ज के प्राइम 5G बैंड के लिए बेसिक प्राइज 317 करोड़ रुपए प्रति मेगाहर्ट्ज पर रखा जाना चाहिए, जो 2018 में घोषित 492 करोड़ रुपए प्रति मेगाहर्ट्ज के बेसिक प्राइज से 35 प्रतिशत कम है। इसी तरह, 700 मेगाहर्ट्ज के लिए ट्राई द्वारा तय की गई कीमत 3,297 करोड़ रुपए है, जो 2018 में तय कीमतों की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत कम है।