रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद सोने के दाम में गिरावट आई है। पिछले आठ महीनों में सोने के दाम में प्रति 10 ग्राम करीब दो हजार रुपये की कमी देखी गई है। हालांकि सोने का व्यापार ज्यादातर अमेरिकी डॉलर पर निर्भर करता है। लेकिन डॉलर के मुकाबले अन्य देशों की मुद्राओं के कमजोर होने के बाद घरेलू दाम में पॉजिटिव रिटर्न मिला है।
सोने के दाम प्रति ग्राम
23 फरवरी | 14 अप्रैल | 13 मई | 14 जुलाई | 1 सितम्बर | 30 सितम्बर |
4565.11 रुपये/ग्राम | 4833.26 रुपये/ग्राम | 4523.35 रुपये/ग्राम | 4397.79 रुपये/ग्राम | 4276.95 रुपये/ग्राम | 4376 रुपये/ग्राम |
वहीं अगर सोने पर रिटर्न की बात करे तो पिछले 1 साल में भारत में केवल 1.3 फीसदी रिटर्न मिला है। जबकि तुर्की में सोने पर रिटर्न करीब 29 फीसदी से अधिक रहा है। ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि तुर्की की मुद्रा डॉलर के मुकाबले काफी अधिक गिरी है।
देशों की मुद्राएं/सोने पर मिला रिटर्न प्रतिशत
देशों की मुद्राएं | पिछले एक साल में सोने पर मिला रिटर्न प्रतिशत |
तुर्किश लीरा | 29.2% |
जापानीज येन | 16.4% |
ब्रिटिश पाउंड | 12.3% |
यूरो | 7.4% |
ऑस्ट्रेलियन डॉलर | 5.2% |
चाइनीज रेनमिन्बी | 3.4% |
कैनेडियन डॉलर | 1.4% |
भारतीय रुपया | 1.3% |
स्विस फ्रांक | 0.3% |
यूएस डॉलर | 0.3% |
भारत में कुल सोने का लगभग आधा सोना स्विट्ज़रलैंड से आयात होता है। वहीं दूसरे नंबर पर यूएई है। ज्यादातर आयातित सोना चेन्नई या फिर दिल्ली में सबसे पहले आता है। वहीं भारत में मशीन से बने ज्वेलरी का मार्किट शेयर करीब 45 फीसदी है। जबकि हैण्डमेड ज्वेलरी का मार्किट शेयर करीब 55 फीसदी है। जबकि 10 वर्ष पहले यह क्रमशः 35 फीसदी और 65 फीसदी था। हालांकि दिवाली के मौके पर सोने के दाम में कमी आम लोगों को काफी राहत देगी।
इन आंकड़ों से साफ़ है कि भारत में ज्वेलरी की मांग में बदलाव देखने को मिला है। हैण्डमेड ज्वेलरी का मार्केट शेयर घटा है, जबकि मशीन से बनी ज्वेलरी का मार्केट शेयर बढ़ा है। वहीं सोने के निवेशकों को चेतावनी दी जा चुकी है कि सोने के बाजार में साल के अंत तक नमी जारी रह सकती है, क्योंकि उच्च ब्याज दरें हमेशा अमेरिकी डॉलर के हिसाब से तय होती हैं। यानी सोने के निवेशकों को अभी भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है और कम रिटर्न पर ही संतोष करना होगा।