Global Oil Markets: भारत अधिक से अधिक सस्ता रूसी तेल (Russia Crude) खरीदकर इसे आगे यूरोप और अमेरिका को दे रहा है, फिर भी कुछ देश भारत की आलोचना कर रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि ऐसा करने से रूस के ऊर्जा राजस्व को कम करने में उन्हें (पश्चिमी देश) सफलता नहीं मिल रही।
रूस-यूक्रेन युद्ध के शुरू होने के बाद ग्लोबल ऑयल मार्केट में बड़ा बदलाव आया है। यूरोप ने रूस पर प्रतिबंधों को और बढ़ा दिया है। ऐसे में भारत ग्लोबल ऑयल मार्केट में सेंटर बनता जा रहा है। वाशिंगटन थिंक टैंक सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के बेन काहिल का कहना है कि अमेरिकी ट्रेजरी अधिकारियों के दो मुख्य लक्ष्य हैं- बाजार को अच्छी तरह से आपूर्ति मिलती रही और रूस का तेल राजस्व कम हो जाए। वे जानते हैं कि भारतीय और चीनी रिफाइनर सस्ता रूसी क्रूड ऑयल खरीदकर और बाजार की कीमतों पर उत्पादों का निर्यात करके बड़ा मार्जिन कमा सकते हैं। हालांकि, उन्हें इससे कोई दिक्कत नहीं है।
‘भारत ने न्यूयॉर्क में 89,000 बैरल प्रति दिन गैसोलीन और डीजल का निर्यात किया’
डेटा इंटेलिजेंस फर्म केप्लर के मुताबिक, भारत ने पिछले महीने न्यूयॉर्क में लगभग 89,000 बैरल प्रति दिन गैसोलीन और डीजल का निर्यात किया, जो लगभग चार वर्षों में सबसे अधिक है। यूरोप में कम सल्फर वाले डीजल का निर्यात जनवरी में 172,000 बैरल था, जो अक्टूबर 2021 के बाद सबसे अधिक है। रूसी पेट्रोलियम निर्यात पर यूरोपीय संघ के नए प्रतिबंधों के रविवार से प्रभावी होने के बाद भारत का महत्व और बढ़ने की उम्मीद है. भारत अपनी कच्चे तेल की लगभग 85% जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है। देश के रिफाइनर, जिनमें राज्य द्वारा संचालित प्रोसेसर शामिल हैं।
सिंगापुर स्थित आईएनजी ग्रोप एनवी में कमोडिटी स्ट्रैटेजी के प्रमुख वारेन पैटरसन ने कहा, ‘भारत रिफाइंड उत्पाद का शुद्ध निर्यातक है और इसमें से अधिकांश पश्चिम में मौजूदा तंगी को कम करने में मदद करेगा। यह बहुत स्पष्ट है कि इस उत्पाद के लिए उपयोग किए जाने वाले फीडस्टॉक का बढ़ता हिस्सा रूस से पैदा होता है।
यूरोपीय संघ के दिशानिर्देशों के तहत, भारत संभवतः नियमों के भीतर काम कर रहा है। जब भारत जैसे ब्लॉक के बाहर किसी देश में रूसी कच्चे तेल को ईंधन में संसाधित किया जाता है, तो परिष्कृत उत्पादों को यूरोपीय संघ में वितरित किया जा सकता है क्योंकि उन्हें रूसी मूल का नहीं माना जाता है।