RBI Repo Rate Hike: आम आदमी पर एक बार फिर महंगाई की मार पड़ी है। RBI गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने जानकारी दी कि रेपो रेट (Repo Rate) में 0.25% की बढ़ोतरी हुई है और वह 0.25% बढ़कर 6.50 % हुआ। जिसके चलते अब लोन की किस्तें महंगी हो जाएंगी। वहीं, दूसरी ओर आरबीआई के अनुमान के मुताबिक, 2023-24 के लिए रियल जीडीपी ग्रोथ 6.4% रहेगी, जो Q1 में 7.8%, Q2 में 6.2%, Q3 में 6% और Q4 में 5.8% अनुमानित है।
2023-24 में Inflation के 4 प्रतिशत से ऊपर रहने की उम्मीद
आरबीआई ने बुधवार को रेपो दर में 25 बेस पॉइंट की बढ़ोतरी की। रेपो रेट वह रेट होता है जिस दर पर RBI बैंकों को अल्पकालिक धन उधार देता है। आरबीआई गवर्नर ने 2023 के आरबीआई के पहले मौद्रिक नीति वक्तव्य में घोषणा की 2023-24 में मुद्रास्फीति के 4 प्रतिशत से ऊपर रहने की संभावना है। जनवरी-मार्च 2023 में औसत मुद्रास्फीति 5.6 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए औसत मुद्रास्फीति 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
GDP ग्रोथ 6.4% की संभावना
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की अर्थव्यवस्था का अनुमान लगाया है। आरबीआई के मुताबिक, 2023-2024 में रियल GDP ग्रोथ 6.4% की संभावना है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि 2023-24 की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति (Inflation) औसतन 5.6% रहने की उम्मीद है।
Retail Inflation- 5.3 प्रतिशत
2023-24 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) समग्र वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 5.3 प्रतिशत रहेगी। वहीं, प्रथम तिमाही में यह 5.0 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.6 प्रतिशत रहेगी।
भारत आने वाले लोगों को UPI Payment की सुविधा
आरबीआई गवर्नर ने जानकारी दी कि अब भारत आने वाले सभी यात्रियों को देश में रहने के दौरान अपने व्यापारिक भुगतानों के लिए UPI पेमेंट का उपयोग करने की अनुमति देने का प्रस्ताव है। शुरुआत में चुनिंदा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर पहुंचने वाले G20 देशों के यात्रियों को यह सुविधा दी जाएगी।
दुनियाभर में Monetary Policy की परीक्षा
आरबीआई गवर्नर ने कहा, “वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण (Global Economic Outlook) अब उतना गंभीर नहीं दिखता जितना कुछ महीने पहले था। प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में विकास की संभावनाओं में सुधार हुआ है जबकि मुद्रास्फीति नीचे की ओर है, हालांकि इन्फ्लेशन अभी भी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में लक्ष्य से काफी ऊपर है।
शक्तिकांत दास ने कहा, “पिछले तीन सालों की अभूतपूर्व घटनाओं ने दुनिया भर में मौद्रिक नीति की परीक्षा ली है। नीतिगत विश्वसनीयता बनाए रखते हुए उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं को आर्थिक गतिविधियों का समर्थन करने और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश करनी पड़ रही है।”