वित्त मंत्री ने इस बजट का को ‘अमृत काल’ का पहला बजट करार दिया। उन्होंने बजट की प्राथमिकाओं को ‘सप्तऋषि’, मोटे अनाज को ‘श्री अन्न’ और सिविल सेवकों के लिए क्षमता निर्माण योजना को ‘मिशन कर्मयोगी’ कहा। बजट में युवाशक्ति को ‘अमृत पीढ़ी’ और पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों को ‘कर्मयोगी’ कह कर संबोधित किया। वित्त मंत्री ने इस दौरान ‘भारत श्री’, ‘अमृत धरोहर’, ‘पंचामृत’, ‘पीएम-प्रणाम’, ‘विश्वकर्मा’ आदि का भी उपयोग किया।
वित्त मंत्री ने कहा कि इस बजट की सात प्राथमिकताएं हैं। ये एक दूसरे की पूरक हैं और ‘अमृत काल’ में हमारा मार्गदर्शन करने वाले ‘सप्तऋषि’ के रूप में कार्य करती हैं। इन प्राथमिकताओं में समावेशी विकास, अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना, अवसंरचना व निवेश, सक्षमता को सामने लाना, हरित विकास, युवा शक्ति और वित्तीय क्षेत्र शामिल थीं।
सीतारमण ने मोटे अनाज के महत्त्व के बारे में बताते हुए कहा कि हम दुनिया में ‘श्री अन्न’ के सबसे बड़े उत्पादक और दूसरे सबसे बड़े निर्यातक हैं। उन्होंने कहा कि मैं इन ‘श्री अन्न’ को उगाकर देशवासियों की सेहत में योगदान करने वाले छोटे किसानों द्वारा की गई उत्कृष्ट सेवा के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त करती हूं। अब भारत को ‘श्री अन्न’ के लिए वैश्विक केंद्र बनाने के लिए भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में बढ़ावा दिया जाएगा।
सीतारमण ने कहा कि सदियों से अपने हाथों से औजारों के सहारे काम करने वाले पारंपरिक कारीगरों और शिल्पकारों ने भारत का नाम रोशन किया है। उन्हें सामान्यत: ‘विश्वकर्मा’ के नाम से जाना जाता है। पहली बार उनके लिए सहायता पैकेज की संकल्पना की गई है। ‘प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान’ (पीएम विकास) योजना उन्हें उपने उत्पादों की गुणवत्ता, पैमाने व पहुंच में सुधार लाने एमएसएमई मूल्य शृंखला के साथ एकीकृत होने में सक्षम बनाएगी।
सीतारमण ने हरित विकास की चर्चा करते हुए कहा कि भारत हरित उद्योग और आर्थिक परिवर्तन को लाने के लिए साल 2070 तक ‘पंचामृत’ और शून्य कार्बन उत्सर्जन की ओर दृढ़ता से बढ़ रहा है। उन्होंने राज्यों को वैकल्पिक उर्वरकों के इतेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए ‘पीएम-प्रणाम’ योजना शुरू करने की बात कही। इसी तरह आर्द्रभूमि के लिए इष्टतम उपयोग को बढ़ावा और पर्यटन के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए ‘अमृत धरोहर’ योजना को कार्यान्वित किया जाएगा।