डेटा संरक्षण कानून (Data Protection law) को लेकर केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर (Electronics & IT Minister Rajeev Chandrasekhar) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि सरकार केवल विशेष परिस्थितियों में ही लोगों का निजी डाटा (Personal Data) ले सकती है। राजीव चंद्रशेखर ने कहा असाधारण स्थितियाँ, जैसे कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा, महामारी या प्राकृतिक आपदाएं के वक्त सरकार आपकी व्यक्तिगत जानकारी तक पहुंच प्राप्त कर सकती है।
ट्विटर पर एक सवाल पूछा गया कि क्या सरकार लोगों की निजता का उलंघन कर सकती है? इसपर जवाब देते हुए राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “जवाब न है। बिल और कानून बहुत स्पष्ट शब्दों में बताते हैं कि वे कौन सी असाधारण परिस्थितियाँ हैं जिनके तहत सरकार भारतीय नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा तक पहुँच सकती है जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा, महामारी, स्वास्थ्य देखभाल, प्राकृतिक आपदा।” उन्होंने आगे कहा कि ये अपवाद हैं। जैसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पूर्ण नहीं है और उचित प्रतिबंध के अधीन है, वैसे ही डेटा सुरक्षा का अधिकार भी है।
राजीव चंद्रशेखर ने कहा, “नेशनल डेटा गवर्नेंस फ्रेमवर्क पॉलिसी में डाटा का गोपनीय एनोनिमाइजेशन का प्रावधान किया गया है। हालांकि डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022 का हिस्सा नहीं है।” उन्होंने कहा कि नए डेटा प्रोटेक्शन बिल के तहत एक डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड का गठन किया जाएगा, जो कि डेटा प्रोटेक्शन के मामलों से जुड़ा होगा और स्वतंत्र रूप से कार्य करेगा। साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि इस बोर्ड में किसी भी सरकारी अधिकारी को शामिल नहीं किया जाएगा।
बता दें कि डाटा से जुड़े पिछले कई विवादों के बीच पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2019 (Personal Data Protection Bill 2019) लाया गया। इस बिल का ड्राफ्ट बीएन श्रीकृष्णा कमेटी ने तैयार किया है। इस बिल के अनुसार संवेदनशील निजी सूचनाएं देश की सीमा के बाहर बिना डेटा प्रोटेक्शन ऑफिसर (Data Protection Officer) की इजाजत के नहीं भेजी जा सकेंगी।
ड्राफ्ट बिल में कहा गया कि कंपनियों की ओर से किसी भी प्रकार का उल्लंघन छोटे मामलों में टर्नओवर का दो फीसदी या पांच करोड़ रुपए और बड़े मामलों में चार प्रतिशत या 15 करोड़ रुपए के जुर्माने द्वारा दंड प्रक्रिया की गई है।