करीब 50 पहले इंडस्ट्री को परमीशन लेने में काफी कठिनाई होती थी और अधिकारियों का उत्पीड़न झेलना पड़ता था। लेकिन मोदी सरकार में लाल-फीताशाही और लाइसेंस राज को लेकर स्थिति बदली है। लोकमान्य तिलक ट्रस्ट की ओर से शुक्रवार को आयोजित कार्यक्रम में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) के डॉ. साइरस पूनावाला ने मोदी सरकार की तारीफ करते हुए यह बात कही।
पूनावाला ने कहा कि पहले कारोबार की मंजूरी पाने के लिए अफसरों और ड्रग कंट्रोलर के अधिकारियों के पैर पकड़ने पड़ते थे। लेकिन अब स्थिति बदली है। इसी का नतीजा है कि कोविड-19 की वैक्सीन को जल्द से जल्द लॉन्च किया जा सका है। इस कार्यक्रम में पूनावाला को लोकमान्य तिलक नेशनल अवार्ड से भी सम्मानित किया गया।
बिजली-पानी कनेक्शन के लिए भी कठिनाई होती थी: पूनावाला ने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट की स्थापना 1966 में हुई थी। करीब 50 साल पहले इंडस्ट्री को बिजली-पानी जैसी आधारभूत सुविधाओं मंजूरी में भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। कारोबारियों को अफसरों का उत्पीड़न झेलना पड़ता था। हालांकि, उन्होंने कहा कि मुझे यह नहीं बोलना चाहिए था।
ट्रांसपोर्टेशन में भी बड़ी समस्याएं हुईं: उन्होंने कहा कि सीरम इंस्टीट्यूट की स्थापना के समय ट्रांसपोर्टेशन और कम्युनिकेशन को लेकर भी उनके स्टाफ और डायरेक्टर्स को काफी समस्याओं और चुनौतियों का सामना करना पड़ा। यह एक लंबा और दर्द भरा सफर था। इसका आज पुरस्कार मिल रहा है। उन्होंने कहा कि मुझे परमीशंस के लिए अफसरों और ड्रग कंट्रोलर के पैरों में गिरना पड़ता था। लेकिन मोदी सरकार में इन परेशानियों और लाल-फीताशाही में कमी आई है।
इस वजह से वैक्सीन जल्दी लॉन्च हुई: उन्होंने कहा कि अब लाइसेंस राज में कमी आई है। कोविड-19 वैक्सीन के जल्द लॉन्च करने में यह भी एक प्रमुख वजह रही है। मोदी सरकार में अनुदान या अनुमति और उद्योगों को प्रोत्साहन में तेजी आई है। पूनावाला ने बताया कि कोविड वैक्सीन के निर्माण के दौरान उन्हें एक ड्रग कंट्रोलर मिला था जो ऑफिस आवर्स खत्म होने के बाद भी जवाब देता था। अब मस्का पॉलिश करने की कोई आवश्यकता नहीं है।