नई दिल्ली। कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने भी आम लोगों की आर्थिक स्थिति को काफी प्रभावित किया है। जिसकी वजह से बीते कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ ने अपने 5 करोड़ से अधिक कस्टमर्स को दूसरी बार कोविड -19 एडवांस लाभ उठाने की अनुमति दी है। वहीं जानकारों का मानना है कि ईपीएफ से इस तरह से एडवांस निकालने से बचना चाहिए। जब तक आपके पास कोई दूसरा विकल्प ना बचा हुआ। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसी को रुपयों की जरुरत है या अपने क्रेडिट स्कोर को बनाए रखने के लिए कर्ज चुकाने की जरूरत है या इमरजेंसी फंड की आवश्यकता है और दूसरा विकल्प नहीं है तो ऐसी स्थिति में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
लगातार दूसरे साल ईपीएफओ ने ग्राहकों को कोविड -19 एडवांस निकालने की परमीशन दी है। पिछले साल मार्च में, ईपीएफओ ने सदस्यों को तीन महीने का मूल वेतन और महंगाई भत्ते से अधिक की राशि या ईपीएफ खाते में जमा राशि का 75 फीसदी तक, जो भी कम हो निकालने की अनुमति दी थी जिसे आप ऑनलाइन आवेदन कर निकाल सकते थे। उस योजना को 27 मार्च, 2020 को अधिसूचित किया गया था और 29 मार्च को ऑनलाइन सुविधा शुरू की गई थी। सोमवार को दूसरे कोविड -19 एडवांस का ऑप्शन दोबारा से उपलब्ध कराया गया है। सरकार ने उन सदस्यों को अनुमति दी है जिन्होंने पिछले साल कोविड-19 एडवांस का लाभ उठाया था।
महामारी से पहले ईपीएफओ मेंबर्स के लिए एडवांस रुपया निकालने के कुछ शर्तें रखी गई थी। जैसे मेडिकल इमरजेंसी, विवाह, उच्च शिक्षा या घर की खरीद, आदि। साथ ही, जो ग्राहक एक महीने से अधिक समय से बेरोजगार हैं, वे अपनी शेष राशि का 75 फीसदी तक निकाल सकते हैं।
आपको कब ईपीएफ एडवांस निकालने पर विचार करना चाहिएः यह याद रखना चाहिए कि ईपीएफ आपको बैंक एफडी या छोटे बचत साधनों की तुलना में अधिक ब्याज दर देता है। 2020-21 में सदस्यों को दी जाने वाली ब्याज दर 8.5 फीसदी थी। यह पोस्ट टैक्स इंट्रस्ट इनकम है और 30 फीसदी के उच्चतम टैक्स स्लैब में में किसी के लिए लगभग 12.5 फीसदी के प्री टैक्स इंट्रस्ट इनकम के बराबर है। किसी भी व्यक्ति के लिए यह कारण बहुत होगा कि वो रिटायर होने तक अपने ईपीएफ अकाउंट को छुए। जब तक कि वह घर खरीदने, बच्चों की शिक्षा या उनकी शादी जैसे महत्वपूर्ण कामों को पूरा करने के लिए रुपयों की जरुरत ना हो। वैसे पिछले 15 महीने कई लोगों के लिए आर्थिक रूप से बहुत चुनौतीपूर्ण रहे हैं।
जहां एक ओर लोगों ने आय में रुकावट को देखा है, तो कई लोगों को भारी मेडिकल एक्सपेंसिस का सामना किया है। कई लोगों ने तो अपने प्रियजनों तक को खो दिया है। इन परिस्थितियों में काफी लोगों ने अपनी सेविंग को खत्म कर दिया तो कुछ ने पर्सनल लोन और दूसरे जगहों से महंगी दरों पर उधार लेने पर मजबूर होना पड़ा है। ऐसे में किसी को भी अपने ईपीएफ खाते से पैसे निकालने में संकोच नहीं करना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर पर्सनल फाइनेंस विशेषज्ञ कहते हैं कि किसी को भी तब तक ईपीएफओ के रुपयों को को नहीं छूना चाहिए जब तक दूसरे विकल्प समाप्त ना हो गए हों। यह डिफ़ॉल्ट ऑप्शन नहीं होना चाहिए। प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल धवन का कहना है कि किसी को केवल तभी इसमें जाना जाना चाहिए, जब उसने अन्य विकल्पों जैसे कि सावधि जमा, डेट म्यूचुअल फंड या अन्य छोटे बचत साधनों का पूरी तरह से उपयोग कर लिया हो।
क्या आपको अन्य कारणों से वापस लेना चाहिए?: विशाल धवन का कहना है कि हालांकि ईपीएफ से कुछ पैसे निकालना और इसे एक इमरजेंसी फंड के रूप में देखना अच्छा विचार हो सकता है, अगर आपके पास इस अनिश्चित काल में धन का कोई अन्य सोर्स नहीं है तो आपको इसे कहीं और निवेश करने से बचना चाहिए। ऐसे समय में जब इक्विटी बाजारों ने अच्छा प्रदर्शन किया है और म्यूचुअल फंड ने निवेशकों को सीधे शेयरों में निवेश करने के लिए पैसा निकालते देखा है, ईपीएफ से पैसा निकालने और उच्च रिटर्न के लिए शेयरों में निवेश करने को प्रोत्साहित कर सकता है। विशेषज्ञ इसके खिलाफ सलाह देते हैं। अगर इक्विटी अच्छा प्रदर्शन कर रही है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि डेट इंवेस्टमेंट का सारा पैसा इक्विटी में लगा देना चाहिए। जहां इक्विटी उच्च रिटर्न उत्पन्न करने में मदद करती है, वहीं डेट पोर्टफोलियो को स्थिरता प्रदान करता है। चूंकि ईपीएफ सेवानिवृत्ति योजना का एक प्रमुख कंपोनेंट है। इसलिए निवेशकों को इक्विटी में निवेश करने के लिए ईपीएफ से पैसे निकालने से बचना चाहिए।
पहले कितने लोगों ने सुविधा का लाभ उठाया?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार 31 मई, 2021 तक, ईपीएफओ ने 76.31 लाख से अधिक कोविद -19 एडवांस दावों का निपटारा किया और कुल 18,698.15 करोड़ रुपए का वितरण किया। पिछले साल 31 दिसंबर तक, ईपीएफओ ने कोविद -19 महामारी के बाद एडवांस अग्रिम सुविधा के तहत 14,310.21 करोड़ रुपए के 56.79 लाख दावों का निपटारा किया था। अप्रैल-दिसंबर के दौरान कुल 197.91 लाख अंतिम निपटान, और 73,288 करोड़ रुपए के मृत्यु, बीमा और एडवांस दावों का निपटारा किया गया।