अगले महीने सरकार लॉन्च कर सकती है फिक्स्ड इनकम ETF स्कीम, ब्लूचिप कंपनियों में निवेश पर FD से भी ज्यादा मिलेगा रिटर्न! जानें- क्या है ईटीएफ?
सरकार को उम्मीद है कि इस ईटीएफ के शुरू होने से कॉर्पोरेट बॉन्ड मार्केट की लिक्विडिटी में सुधार होगा। इससे जहां निवेशकों का बेस बढ़ेगा वहीं सरकारी कंपनियों की भागीदारी वाली ऋण वाली योजनाएं भी आसान हो सकेंगी।

केंद्र सरकार अगले महीने फिक्स्ड इनकम स्कीम एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) की शुरुआत कर सकती है। इसमें करीब एक दर्जन सरकारी कंपनियां भी शामिल होंगी। ईटीएफ का दायरा करीब 15 हजार करोड़ से 20 हजार करोड़ रुपये हो सकता है।
सरकार को सूत्रों का कहना है कि सरकार की तरफ से यह पहले फंड के लिए की जा रही है। इसे दिसंबर के शुरू में लॉन्च किया जा सकता है। बाजार की दृष्टि से इसे महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस ईटीएफ में AAA रेटिंग वाली सार्वजनिक उपक्रम भी शामिल होंगे। पारंपरिक निवेशकों के लिए यह डेट (Debt) ईटीफ एक नया विकल्प उपलब्ध कराएगा।
इसके जरिये वे सरकारी उपक्रमों में निवेश कर सकेंगे साथ ही ईटीएफ यूनिट के रूप में लिक्विडी की भी सुविधा रहेगी। ये ईटीएफ यूनिट एक्सचेंज में दर्ज होंगी। ईटीएफ में बैंकों के फिक्स डिपॉजिट की तुलना में अधिक रिटर्न मिलेगा। बैंकों में अभी करीब 5.5 फीसदी रिटर्न मिल रहा है जबकि इसमें निवेशकों को 7 फीसदी से अधिक रिटर्न मिलने की बात कही जा रही है।
डेट (Debt) ईटीफ बॉन्ड, क्रेडिट लिंक्ड नोट, डिबेंचर, प्रोमिसरी नोट के रूप में डेट सिक्योरिटी होगी। सरकार के एक सूत्र ने इस बात की पुष्टि की है कि हम पहले ही इस संबंध में कुछ रोडशो कर चुके हैं और उम्मीद है कि डेट ईटीएफ को दिसंबर तक लॉन्च कर दिया जाएगा।
सरकार को उम्मीद है कि इस ईटीएफ के शुरू होने से कॉर्पोरेट बॉन्ड मार्केट की लिक्विडिटी में सुधार होगा। इससे जहां निवेशकों का बेस बढ़ेगा वहीं सरकारी कंपनियों की भागीदारी वाली ऋण वाली योजनाएं भी आसान हो सकेंगी। डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक असेट्स मैनेजमेंट (DIPAM) ने प्रस्तावित डेट ईटीएफ के लिए एडलुईस असेट मैनेजमेंट कंपनी को असेट मैनेजर नियुक्त किया है।
मालूम हो की ईटीएफ निवेश का एक विकल्प है जिसमें कई तरह की सिक्योरिटीज होती हैं। इनका रिटर्न बिल्कुल इंडेक्स के समान ही होता है। ये शेयर बाजार में लिस्टेड होते हैं। वहीं, इन्हें खरीदा या बेचा जा सकता है। ईटीएफ का रिटर्न और रिस्क सेंसेक्स या सोने जैसे असेट की कीमतों में उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है। ईटीएफ की खासियत है कि इनका मूल्य वास्तविक समय में ही पता चल जाता है। जबकि म्यूचुअल फंड में ऐसा नहीं होता है।