नई लग्जरी कारों को 30 मीटर गहरी खाई में क्यों फेंक रही Volvo कंपनी, जानें- आखिर क्या है वजह
कंपनी का कहना है कि इस तरह के ऐक्सिडेंट को लेकर यह परीक्षण किया जा रहा है कि कैसे पीड़ितों को तत्काल गाड़ी से बाहर निकाला जा सके और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल तक पहुंचाया जा सके।

लग्जरी कारों की निर्माता कंपनी Volvo Cars क्रैश टेस्ट करने के लिए अपनी कारों को 30 मीटर की ऊंचाई से नीचे गिरा रही है। कंपनी ऐसा इसलिए कर रही है ताकि किसी भी संभावित क्रैश की स्थिति में रेस्क्यू अभियान चलाया जा सके और हर संभव बचाव कार्य किए जा सकें। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब Volvo ने अपनी कई कारों को क्रेन के जरिए 30 मीटर ऊंचाई से गिरा रही है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि तेज स्पीड में यदि कार का ऐक्सिडेंट होता है तो फिर क्या स्थिति पैदा होती है।
इस क्रैश टेस्टिंग के लिए कंपनी अपनी नई कारों का इस्तेमाल कर रही है। ऐसी स्थिति में कार बैठे लोगों को गंभीर चोट लगने की आशंका रहती है। कंपनी का कहना है कि इस तरह के ऐक्सिडेंट को लेकर यह परीक्षण किया जा रहा है कि कैसे पीड़ितों को तत्काल गाड़ी से बाहर निकाला जा सके और उन्हें इलाज के लिए अस्पताल तक पहुंचाया जा सके। इन क्रैश टेस्ट के आधार पर एक रिपोर्ट बनाई जाएगी, जिसे रेस्क्यू वर्कर्स को मुहैया कराया जाएगा।
इसके आधार पर सहायताकर्मी ऐसी तैयारी और रणनीति बना सकेंगे कि किसी हादसे की स्थिति से कैसे निपटा जाए। आमतौर पर रेस्क्यू वर्कर्स की ट्रेनिंग के लिए दो दशक पुरानी गाड़ियां दी जाती हैं। जानकारों का कहना है कि स्टील की मजबूती की बात करें तो 20 साल पुरानी कार और नई कार में बड़ा अंतर होता है। ऐसे में नई कार से ज्यादा सटीक ढंग से टेस्टिंग की जा सकती है। कंपनी का कहना है कि नई कारों के साथ क्रैश टेस्ट करने से वर्कर्स को आसानी होगी कि वे बचाव के लिए अपनी रणनीति तैयार कर सकें।
अब तक इस टेस्ट के लिए वोल्वो की ओर से 10 नई कारों का इस्तेमाल किया जा चुका है। किसी भी कार को गिराने से पहले Volvo Cars के इंजीनियर यह तय करते हैं कि गाड़ी को कितने प्रेशर और फोर्स के साथ गिराना चाहिए ताकि उसके डैमेज के लेवल के बारे में सही ढंग से जानकारी मिल सके।