बता दें कि, इन विमानों में तीन सिंगल सीटर और दो ट्विन सीटर विमान शामिल हैं। बीते 27 जुलाई को इन लड़ाकू विमानों ने फ्रांस से उड़ान भरी थी जिसके बाद ये UAE में रुके और तकरीबन 7 हजार किलोमीटर तक का सफर करने बाद इन विमानों ने आज यानी बुधवार को दोपहर में अंबाला एयरफोर्स की हवाई पट्टी पर लैंड किया।
बीते कल इन विमानों की कुछ तस्वीरों को सोशल मीडिया पर भी साझा किया गया था, बताया जा रहा है कि यह विमान तस्वीर लिए जाने के वक्त तकरीबन 30 हजार फीट की उंचाई पर थें और इन विमानों में ईंधन भरा जा रहा था। बहरहाल, इन विमानों के भारत आगमन के साथ ही इंडियन एयरफोर्स की शक्ति में और भी इजाफा हो गया है, तो आइये जानते हैं राफेल लड़ाकू विमानों से जुड़ी 5 खास बातें –
1- क्या है स्पीड: Rafale लड़ाकू विमान का कुल वजन 24,500 किलोग्राम है और यह आसानी से 9500 किलोग्राम तक का भार उठा सकता है। इस विमान की टॉप स्पीड 1389 किलोमीटर प्रतिघंटा है और सबसे खास बात ये है कि एक बार उड़ान भरने के बाद यह विमान 3700 किलोमीटर तक की दूरी तय कर सकता है। यह विमान सिंगल सीटर और ट्वीन सीटर दोनों विकल्पों के साथ उपलब्ध है।
2- पावर और हथियार: राफेल में दो Snecma M88 इंजन का इस्तेमाल किया गया है जो कि 50 किलोन्यूटन थ्रस्ट जेनरेट करता है। इसके अलावां यह लड़ाकू विमान अत्याधुनिक हथियारों और मिसाइलों से पूरी तरह से लैस है। इसमें स्कैल्प ईजी स्टॉर्म शैडो, एएएसएम, एटी 730 ट्रिपल इजेक्टर रैक, डैमोक्लेस पॉड और हैमर मिसाइल लगे हुए हैं। इसकी सबसे बड़ी खास बात ये है कि यह इसमें मेटयोर मिसाइल को भी लगाया गया है जो कि किसी भी एशियाई देश के पास उपलब्ध नहीं है, यहां तक की चीन के पास भी यह खास तकनीक नहीं है।
3- कहां होगी तैनाती: राफेल कल 29 जुलाई को हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर लैंड करेगा और यहीं उतरते ही यह अपने ऑपरेशन के लिए भी रेडी हो जाएगा। जानकारी के अनुसार अंबाला में ही इसके पहले स्क्वाड्रन की तैनाती की जाएगी, जिसे ‘गोल्डन-ऐरोज़’ नाम दिया गया है। वहीं इसके दूसरे स्क्वाड्रन की तैनाती पश्चिम बंगाल के हाशिमारा में की जाएगी। बताया जा रहा है कि, राफेल के लिए अंबाला एयरबेस इसलिए चुना गया है क्योंकि यहीं पर देश के सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस की स्क्वाड्रन को भी तैनात किया गया है। इसके अलावां इस एयरबेस से पाकिस्तान और चीन दोनों ही देशों की सरहदें भी काफी नजदीक हैं।
4- चीन के चेंगदू J-20 से मुकाबला: राफेल का भारत आगमन उस वक्त हो रहा है जब चीन से सीमा पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। ऐसे में राफेल का मुकाबला चीनी लड़ाकू विमानों से होना स्वाभाविक है। बता दें कि, चीन के पास चेंगदू जे-20 लड़ाकू विमान है, लेकिन राफेल इससे कई मायनों में बेहतर साबित होगा। राफेल का डिजाइन इसे आसमान में कॉम्बैट फ्लाइंग में मदद करता है, जबकि चेंगदू जे-20 का डिजाइन उतना मददगार साबित नहीं होता है।
5- इन 3 मिसाइलों की शक्ति: राफेल लड़ाकू विमान उड़ान के दौरान अपने घातक हमले और 3 मिसाइलों के लिए मशहूर हैं। सबसे पहले इसमें मेटयोर मिसाइल दिया गया है जो कि तकरीबन 150 किलोमीटर तक की दूरी में हवा में वार कर सकता है। इसकी क्षमता का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि यह दुनिया के सबसे खतरनाक मिसाइलों में से एक गिना जाता है। इसके अलावां इसके दूसरे मिसाइल के तौर पर स्कैल्प दिया या है जो कि एक क्रूज डीप अटैक मिसाइल है, जिसका प्रयोग जमीन पर हमले के लिए किया जाता है। वहीं तीसरे घातक मिसाइल के तौर पर इसमें माइको को शामिल किया गया है जो कि हवा से हवा में वार कर सकता है, इसे मल्टी मिशन मिसाइल भी कहा जाता है।
क्या है कीमत: भारत ने 2016 में हस्ताक्षरित एक अंतर-सरकारी समझौते के माध्यम से डसॉल्ट राफेल से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे थे। 2021 के अंत तक सभी 36 विमानों को भारत के सुपूर्द कर दिया जाएगा। चार साल पहले भारत ने सितंबर में फ्रांस के साथ 59 हजार करोड़ रुपये का करार किया था, बताया जा रहा है कि भारत ने राफेल से सौदे में तकरीबन 710 मिलियन यूरो (यानि करीब 5341 करोड़ रुपए) खर्च किए हैं। एबीपी में छपी रिपोर्ट के अनुसार एक विमान की कीमत तकरीबन 90 मिलियन यूरो है यानी करीब 673 करोड़ रुपए।