सड़क पर होने वाले हादसों को रोकने और यात्रा को सुरक्षित करने की दिशा में केंद्र सरकार और सड़क परिवहन मंत्रालय लगातार प्रयासरत है जिसमें नए नियमों के साथ वाहनों में लगने वाली तकनीक में परिवर्तन तक शामिल हैं।
अब तक केंद्र सरकार और सड़क परिवहन मंत्रालय की तरफ से एंटी लॉक ब्रेकिंग सिस्टम, एयरबैग्स, सेफ्टी फीचर्स और यातायात नियमों को लेकर कई नियम लागू किए हैं जिसमें अब वाहनों में इस्तेमाल होने वाले टायर्स को लेकर एक बड़ा कदम उठाया गया है।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बड़ा फैसला करते हुए वाहनों में लगने वाले टायरों के डिजाइन में बदलाव किए जाने को मंजूरी प्रदान कर दी है। मंत्रालय की तरफ से बदलाव किए गए डिजाइन वाले टायरों का उत्पादन 1 अक्टूबर 2022 से किया जाएगा और इनकी बिक्री 1 अप्रैल 2023 से शुरू की जाएगी।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की तरफ से टायरों के डिजाइन में किया गया बदलाव सी1, सी2 और सी3 श्रेणी वाले टायर पर लागू होंगे।
ऑटोमोटिव इंडियन स्टैंडर्ड के मुताबिक, मंत्रालय का ये आदेश लागू होने के बाद टायरों के डिजाइन आईएएस- 142:2019 के मुताबिक ही बनाया जाएगा।
मंत्रालय की तरफ से टायरों के डिजाइन को लेकर किए गए महत्वपूर्ण फैसले को जानने के बाद आप जान लीजिए कि आखिर टायरों में सी1, सी2 और सी3 श्रेणी आखिर होती क्या है।
एक आम यात्री कार में जो टायर इस्तेमाल होते हैं वो सी1 कैटेगरी में आते हैं। सी2 कैटेगरी में छोटे वाहन शामिल हैं जिनका इस्तेमाल कमर्शियल गतिविधियों में किया जाता है। सी3 कैटेगरी में हैवी कमर्शियल वाहन आते हैं जैसे ट्रक, बस आदि।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के आदेश के बाद इन तीनों कैटेगरी के तहत बनाने जाने वाले टायरों पर ऑटोमोटिव इंडियन स्टैंडर्ड के सेकंड स्टेज के नियम और मानदंड को अनिवार्य कर दिया गया है।
ऑटोमोटिव इंडियन स्टैंडर्ड के नियम और मानकों के मुताबिक इन तीनों कैटेगरी के टायरों का निर्माण करते वक्त रोलिंग रेजिस्टेंस, वेट ग्रिप और रोलिंग साउंड एमिशन्स जैसी महत्वपूर्ण कारकों पर तय नियम के मुताबिक काम किया जाएगा।
आपको बताते चलें की सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय बहुत जल्द वाहनों में लगने वाले टायरों के लिए रेटिंग सिस्टम भी शुरू करने वाला है जिसमें नए टायर्स की सड़क पर वेट ग्रिप, सड़क पर पकड़ और तेज रफ्तार के समय ब्रेक लगाने पर टायर से उत्पन्न होने वाले शोर को ध्यान में रखा जाएगा।
मंत्रालय का टायर रेटिंग सिस्टम के पीछे का मकसद टायर खरीदते समय ग्राहकों को जागरूक करना है ताकि वो जान सकें कि जिस टायर को वो अपने वाहन में लगाने वाले हैं वो कितना सुरक्षित है।