बजट 2017: क्या नौकरीपेशा लोगों की ये उम्मीदें पूरी कर पाएगी नरेंद्र मोदी सरकार?
नौकरीपेशा लोगों को नए बजट से टैक्स को लेकर काफी उम्मीदें हैं। वहीं एक्सपर्ट्स का मानना है कि टैक्स स्लैब में बदलाव, सेक्शन 80सी की लिमिट और एनपीएस की निकासी सीमा बढ़ाई जा सकती है जिससे बेहतर टैक्स बेनिफिट्स मिल सकें।

नौकरीपेशा लोगों को नए बजट से टैक्स को लेकर काफी उम्मीदें हैं। वहीं एक्सपर्ट्स का मानना है कि टैक्स स्लैब में बदलाव, सेक्शन 80सी की लिमिट और एनपीएस की निकासी सीमा बढ़ाई जा सकती है जिससे बेहतर टैक्स बेनिफिट्स मिल सकें।
सेक्शन 80C के तहत होने वाली कटौती- सेक्शन 80C में उच्चतम 1.5 लाख रुपये की लिमिट है। पीपीएफ, एनएससी, ईपीएफ, टैक्स-सेविंग म्यूचुअल फंड, पांच साल के लिए फिक्सड बैंक डिपोजिट्स या पोस्टऑफिस डिपोजिट्स बीमा प्रीमियम सभी सेक्शन 80C के अंतरगत आते हैं। इसकी 1.5 लाख की लिमिट बजट 2014 में 1 लाख से बढ़ाकर की गई थी। वहीं एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बार भी यह लिमिट बढ़ाई जानी चाहिए जिससे लोगों को ज्यादा बचत, निवेश करने का मौका मिल सके।
नेशनल पेंशन सिस्टम- 2015 के बजट में एनपीएस में 50 हजार के योगदान पर आयकर पर कटौती की सुविधा सेक्शन 80CCD(1B) में दी गई थी। किसी भी नागरिक को टैक्स में कटौती 50 हजार रुपये तक की लिमिट में मिलती है। वहीं टैक्स में रियायत लेने के लिए निवेश टीयर I एपीएस खाते का होना जरूरी है और इसमें योगदान की कोई उच्चतम सीमा नहीं है। ऐसे में कई बार कटौती किसी शख्स के काम के नेचर से अलग हो सकती है। उदाहरण के लिए किसी सरकारी कर्मचारी, प्राइवेट फर्म के कर्मचारी, सेल्फ इम्प्लोइड 50 हजार रुपये तक के टैक्स बेनिफिट्स 80CCD(1B) के तहत क्लेम कर सकता है। वहीं सेक्शन 80CCD(1) और सेक्शन 80CCD(2) के तहत भी टैक्स कटौती क्लेम की जा सकती है। वहीं कर्मचारी का बेसिक सैलरी और डीए पर 10 फीसद का योगदान की 1.5 लाख रुपये की रकम तक पहुंचने के लिए टैक्स कटौती के योग्य हो जाता है। वहीं सेल्फ इम्पमलॉइड भी इसके जरिए टैक्स बेनिफिट क्लेम कर सकते हैं।
सेक्शन 80CCD(2)- कर्मचारी का 10 फीसद योगदान और डीए मिलकर टैक्स कटौती के लिए योग्य हो जाता है। वहीं कर्मचारी का अतिरिक्त योगदान टैक्स कटौती के लिए क्लेम कर लकता है क्योंकि यह सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये की लिमिट में नहीं आता। ऐसे में कर्मचारी अपने इस योगदान को बिजनेस में प्रॉफिट एंड लॉस खर्चे की तरह पेश कर टैक्स बेनिफिट ले सकता है।
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वहीं एनपीएस ईईटी (EET, exempt-exempt-tax) के अंतरगत है। ऐसे में खाताधारक को सालाना कोष की रकम का 40 फीसद खरीदना 60 साल की उम्र या उससे ज्यादा के लिए अनिवार्य है। कोष में निवेश पर योगदान और उस पर रिटर्न्स एक तरह से निवेश की आमदनी होगी। ऐसे ही 40 फीसद रकम के मैच्योर होने पर टैक्स नहीं लगेगा लेकिन इंकम पर टैक्स स्लैब के हिसाब से कटेगा। बीते साल के बजट में एनपीएस कोष की 40 फीसद की निकासी (मैच्योरिटी होने पर) टैक्स फ्री की गई थी। वहीं कई और स्कीम्स जैसे पीपीएफ, ईपीएफ पर पहले से ही टैक्स बेनिफिट्स की सुविधा मिलती है।
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