Budget 2023 : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को केंद्रीय बजट 2023 पेश करते हुए बताया कि मैनुअल स्कैवेंजिंग यानि हाथ से मैला ढोले को खत्म करने के उद्देश्य से सेप्टिक टैंक और सीवर की 100 फीसदी सफाई मशीनों से करने के लिए सक्षम किया जाएगा। मैला ढोने के कारण होने वाली मौतों को रोकने के लिए सरकार पूरी तरह से सीवरों की मशीनी सफाई की ओर बढ़ रही है।
शहरी स्वच्छता घोषणा के एक भाग के रूप में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा “सभी शहरों और कस्बों को मैनहोल से मशीन-होल मोड में संक्रमण के लिए सेप्टिक टैंक और सीवरों के 100 प्रतिशत यांत्रिक डीस्लजिंग के लिए सक्षम किया जाएगा। सूखे और गीले कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।”
क्यों खतरनाक है Manual Scavenging ? क्या कहते हैं राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के आंकड़े
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK) के अनुसार, 31 दिसंबर, 2022 तक सीवर और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई के कारण 1,054 लोगों की मौत हो चुकी है। इस आंकड़े के जरिए आप समझ सकते हैं कि यह क्यों खतरनाक है। राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग (NCSK) का दावा है कि यह डेटा 1993 से है, लेकिन यह एक बहुत ही रूढ़िवादी आंकड़ा है क्योंकि आयोग खुद कहता है कि डेटा राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों / प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से प्राप्त जानकारी और सीधे आयोग द्वारा प्राप्त शिकायतों आदि पर आधारित है। यह डायनेमिक डेटा है जो बदलता रहता है या आयोग पर नई जानकारी प्राप्त होने पर अपडेट किया जाता है।
बजट में आपको क्या मिला एक्सपर्ट से समझिए| VIDEO
ऐसी मौतों के सबसे ज्यादा मामले तमिलनाडु से सामने आए हैं, जहां सीवर की सफाई के दौरान 231 लोगों की मौत हुई है। इसके बाद गुजरात आता है, जहां 153 सफाई कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। इसके बाद उत्तर प्रदेश (117 मौतें ), दिल्ली (103), हरियाणा (100), कर्नाटक (86), महाराष्ट्र (47), पंजाब (41), राजस्थान (38), आंध्र प्रदेश (24) और पश्चिम बंगाल (22) आते हैं।
मैनुअल स्कैवेंजिंग कानूनी तौर पर पूरी तरह से प्रतिबंधित है। जिन परिवारों के सदस्यों की सीवर की सफाई के दौरान मृत्यु हो गई थी, उन्हें राहत देने के लिए, 2014 में, सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला पारित किया और आदेश दिया कि सीवर/सेप्टिक की सफाई के दौरान मरने वालों के परिवारों को राज्य सरकार द्वारा 10-10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।