Budget 2023: निर्मला सीतारमण के बजट में ग्रीन ग्रोथ पर खासा जोर दिया गया है। अमृतकाल में ले जाने के लिए सप्तऋषियों का जो तानाबाना तैयार किया गया है, उसमें हरित विकास एक अहम मुद्दा है। सप्तऋषियों की फेहरिस्त में इसका नंबर पांचवां है। ध्यान रहे कि पीएम मोदी ने अमृतकाल के लिए सात प्राथमिकताएं तय की हैं। इन्हें ही सप्तऋषि का नाम दिया गया है।
संसद में बजट पेश करने के दौरान सीतारमण ने कहा कि पीएम मोदी ने LIFE का विजन दिया है। यानि पर्यावरण के लिए एक लाइफ स्टाइल। इसका तात्पर्य पर्यावरण को समर्पित तानाबाना तैयार करना है। भारत तेजी से पंचामृत की तरफ अपने कदम आगे बढ़ा रहा है। इसके तहत 2070 तक ग्रीन इंडस्ट्रियल और इकोनॉमिक ट्रांजिशन के सांचे में भारत को ढालना है। सरकार की योजना कार्बन के स्तर को जीरो तक लाने की है। समझते हैं क्या हैं हरित विकास के घटक।
ग्रीन हाइड्रोजन मिशन
इस मद में 19 हजार 700 करोड़ का प्रावधान रखा गया है। इसके ध्येय अर्थव्यवस्था को कार्बन के निमनतम स्तर की तरफ ले जाना है। कोयले पर देश की निर्भरता को कम से कम करना है। सीतारमण का कहना है कि हमारा ध्येय 2030 तक 5 MMT ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन का है।
एनर्जी ट्रांजिशन
बजट में एनर्जी ट्रांजिशन के लिए 35 हजार करोड़ रुपये के कैपिटल इन्वेस्टमेंट का प्रावधान किया गया है। बजट में एनर्जी स्टोरेज प्रोजेक्ट के लिए भी खासी जगह है। 4 हजार MWH की क्षमता के एनर्जी स्टोरेज सिस्टम के लिए सरकार अच्छी खासी रकम खर्च करने जा रही है।
रिनेवल एनर्जी इवेक्यूशन
रिनेवल एनर्जी के लिए लद्दाख में 13 GW की क्षमता का ढांचा तैयार होगा। इसके लिए बजट में 20 हजार 700 करोड़ रुपये का प्रावधान है। इसमें केंद्र का योगदान 8 हजार 3 सौ करोड़ का होगा। सरकार की कोशिश इंटरस्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम की स्थापना की है। सरकार की योजना ग्रीन क्रेडिट प्रोग्राम की भी है। पर्यावरण से जुड़े बर्ताव में सुधार लाने के लिए ये योजना लॉन्च की जाएगी। इसमें कंपनियों, नगर निकायों का भी योगदान होगा।
PM PRANAM के तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फर्टिलाइजर्स की वैकल्पिक किस्मों के इस्तेमाल के लिए प्रेरित करना है। सरकार का ध्येय केमिकल फर्टिलाइजर्स को कम से कम करते जाना है। इसमें गोबरधन स्कीम भी शामिल है। सीतारमण का कहना है कि इसके लिए 10 हजार करोड़ का बजट है। इसके अन्य घटकों में भारतीय प्राकृतिक खेती बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर्स के साथ मिष्ठी, अमृत धरोहर और कोस्टल शिपिंग भी शामिल हैं।
सरकार का उद्देश्य पुराने वाहनों को चलन से बाहर करके पर्यावरण में नई जान फूंकना भी है। इससे अर्थव्यवस्था को हरित बनाने में मदद मिलेगी। सीतारमण का कहना है कि पिछले बजट में पुराने वाहनों को स्क्रैप करने के लिए सरकार ने बजट का प्रावधान भी किया था।