Budget 2023: बजट 2023 का खाका देखें तो साफ लगता है कि पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार के मन को मनरेगा नहीं भा रही है। यही वजह है कि पिछले बजट की तुलना में इस बार योजना को आवंटित फंड में 21.66 फीसदी की कटौती की गई है। इसके उलट प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के बजट में भारी बढ़ोतरी की गई है। सरकार को पता है कि गांवों में रहने वाले लोगों के लिए अपने पक्के घर का सपना कितना अहम होता है। शायद इसी वजह से आवास योजना को सरकार विशेष तरजीह दे रही है। आवास योजना के लिए आवंटित फंड में 172 फीसदी का इजाफा किया गया है।
2023-24 के बजट में मनरेगा के लिए 60 हजार करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। 2022-23 में स्कीम के लिए खर्च होने वाली रकम का आकलन 73 हजार करोड़ रुपये था। रिवाइज्ड एस्टीमेट में ये रकम 89 हजार 400 करोड़ रुपये थी। इन आंकड़ों को देखकर साफ लगता है कि सरकार मनरेगा को तवज्जो नहीं दे रही है।
2021-22 में योजना के तहत सरकार ने 98,468 करोड़ रुपये खर्च किए थे। खास बात है कि बुधवार को बजट पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मनरेगा का केवल एक बार जिक्र किया। साफ है कि सरकार की प्राथमिक सूची से मनरेगा गायब हो रही है।
इसके उलट पीएम आवास योजना के बजट में भारी उछाल देखने को मिला है। इस योजना के दो भाग हैं। एक के तहत शहरी हिस्सा कवर होता है तो दूसरे के तहत ग्रामीण। पीएम आवास योजना के तहत 66 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। यानि 79 हजार करोड़ का इसमें इजाफा हुआ है।
बजट से जुड़े दस्तावेज बताते हैं कि वित्त मंत्री ने पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत 54 हजार 487 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। 2022-23 में इस मद में आवंटित रकम 20 हजार करोड़ रुपये थी। पिछले साल स्कीम का रिवाइज्ड एस्टीमेट 48 हजार 422 करोड़ रुपये था।
ग्रामीण को आवंटित रकम में 50 हजार 486.99 करोड़ रुपये प्रोग्राम कंपोनेंट के तहत रखी गई है। जबकि 4 हजार करोड़ रुपये का भुगतान नाबार्ड को किया जाना है। ये रकम ब्याज की अदायगी के तौर पर खर्च होगी। योजना के बजट से ज्यादा खर्च होने पर सरकार ने लोन लिया था।