Economic Slowdown की आहटों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को आर्थिक मोर्चे पर शुक्रवार (30 अगस्त, 2019) को बड़ा झटका लगा है। देश की जीडीपी से जुड़े आंकड़े जारी हुए तो पता चला कि अर्थव्यवस्था की हालत और बिगड़ गई है। दरअसल, भारत की जीडीपी 5.8 फीसदी से घटकर पांच प्रतिशत पर आ पहुंची है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, एक साल पहले इसी तिमाही में वृद्धि दर आठ प्रतिशत थी।
जानकारी के मुताबिक, जीडीपी 2019-20 की अप्रैल-जून तिमाही में घटकर पांच फीसदी पर आई है। यह बीते साल का न्यूनतम स्तर है। इससे पहले, वित्त वर्ष 2012-13 की अप्रैल-जून अवधि में देश की जीडीपी सबसे निचले स्तर 4.9 प्रतिशत पर रही थी। एक साल पहले 2018-19 की पहली तिमाही में जीडीपी आठ प्रतिशत के उच्च स्तर पर थी, जबकि इससे पिछली तिमाही की बात करें तो जनवरी से मार्च 2019 की तिमाही में विकास दर 5.8 फीसदी थी।
वहीं, मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में भी भारी गिरावट आई है, जबकि कृषि विकास दर 5.8 प्रतिशत से घट कर दो फीसदी पहुंच गई है। एक्सपर्ट्स की मानें तो जीडीपी, सात साल में सबसे कम आंकी गई है और इसके गिरने से शेयर मार्केट पर इसका सीधा असर पड़ सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने जून में हुई मौद्रिक समीक्षा में चालू वित्त वर्ष की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान सात प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया था। साथ ही केंद्रीय बैंक ने कुल मांग बढ़ाकर वृद्धि चिंताओं से निपटने पर जोर दिया था।
आरबीआई ने वित्त वर्ष की पहली छमाही में जीडीपी वृद्धि दर के 5.8 प्रतिशत से 6.6 प्रतिशत और दूसरी छमाही में 7.3 प्रतिशत से 7.5 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान जताया है। साल 2019 की अप्रैल-जून अवधि में चीन की आर्थिक वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत रही है, जो पिछले 27 साल में सबसे कम रही। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)