प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने पिछले साल लॉकडाउन के दौरान आपदा को अवसर में बदलने का मंत्र दिया था। ये बात सुनने में अटपटी लगी थी, लेकिन इसे कई लोगों ने हकीकत में बदल दिया। ऐसी ही कहानी है ग्रॉसरी के ऑनलाइन मार्केटप्लेस बिग बास्केट (Big Basket) की, जिसे अब टाटा (Tata Group) ने खरीद लिया है।
कोरोना महामारी के कारण जब राष्ट्रीय लॉकडाउन लगाया गया तो अचानक सारी गतिविधियां रुक गईं। मोहल्ले की किराना दुकानें तक बंद हो गईं। ऐसे में ऑनलाइन ग्रॉसरी (Online Grocery) के कारोबार को बढ़ावा मिला। करोड़ों की संख्या में ऐसे नए ग्राहक बाजार में आए, जो पहली बार ऑनलाइन ग्रॉसरी खरीद रहे थे।
अनुभव से Big Basket ने आपदा को बनाया अवसर
इस अवसर को सबसे अच्छे से भुनाया बिग बास्केट ने। बिग बास्केट को 10 साल के अनुभव का लाभ मिला। बिग बास्केट के मार्केटिंग हेड अरुण जयरमन ने इस बारे में एक इंटरव्यू में कहा कि 10 साल के अनुभव के चलते कंपनी को कुछ नया नहीं करना पड़ा। कंपनी के पास जो अनुभव था, उसने अचानक आई मांग को संभालना आसान बना दिया।
बकौल जयरमन, लॉकडाउन लगने के बाद शुरुआती कुछ सप्ताह चुनौतीपूर्ण रहे। इस दौरान अचानक से ग्राहकों की संख्या 300-350 प्रतिशत बढ़ गई। चूंकि देश के 30 से भी अधिक शहरों में हमारे वेयरहाउस थे। हमारे पास ग्रॉसरी डिलीवर करने का अनुभव था। दो-तीन सप्ताह में हमने चीजें नियंत्रित कर ली।
जून 2020 में बिलियन डॉलर बिक्री का स्तर पर चुकी थी Big Basket
बिग बास्केट ने लॉकडाउन के शुरुआती दिनों में जिस तरह से काम किया, उसने कई वैश्विक निवेशकों को आकर्षित किया। अलीबाबा ग्रुप (Alibaba Group), ट्राइफैक्टा कैपिटल (Trifecta Capital), बेसेमर वेंचर (Bessemer Venture) और मिराए एसेट (Mirae Asset) जैसे निवेशकों ने बिग बास्केट में 1.1 अरब डॉलर का निवेश किया। जून 2020 में कंपनी ने एक बिलियन डॉलर की सालाना बिक्री का स्तर छू लिया।
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यही वह समय था जब टाटा समूह की बिग बास्केट में दिलचस्पी जमी। ऑनलाइन रिटेल (Online Retail) में कुछ बड़ा करने की तैयारी में लगे टाटा ग्रुप ने अंतत: इस साल बिग बास्केट के 68 प्रतिशत शेयर का 1.3 अरब डॉलर में अधिग्रहण कर लिया।