बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) ने फिनटेक कंपनियों और डिजिटल लेंडिंग ऐप्स (Digital Lending apps) के साथ लोन देने के लिए टाई-अप को लगभग रोक दिया है। ऐसा पहली लोन डिफ़ॉल्ट गारंटी (एफएलडीजी) के तहत किया गया है। इसकी वजह है कि रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अभी तक संविदात्मक समझौते पर स्पष्टता नहीं दी है।
आमतौर पर ऋणदाताओं ने यह तरीका अपनाया है कि नॉन-रेगुलेटेड कंपनियां (फिनटेक कंपनियां जो RBI के दायरे में नहीं आतीं) के साथ FLDG को नहीं किया जा सकता है। बता दें कि FLDG एक क्रेडिट-रिस्क शेयरिंग एग्रीमेंट है जिसमें थर्ड पार्टी- बैंकों और NBFC जैसी विनियमित (रेगुलेटेड) संस्थाओं के लोन पोर्टफोलियो में डिफॉल्ट का एक निश्चित प्रतिशत तक क्षतिपूर्ति करने की गारंटी देती है। बैंक सीधे तौर पर लोन देने वाले ऐप्स को सीधे कर्ज नहीं दे सकते हैं जो हाल ही में अनुचित कर्ज प्रैक्टिस के लिए RBI और सरकार की जांच के दायरे में आए हैं।
सरकार ने किया था 94 लोन ऐप्स को बैन
हालांकि, कई एक्सपर्ट का मानना है कि FLDG पर आरबीआई का रिजर्वेशन उचित है क्योंकि ऐसा ना होने से सिस्टम में रिस्क बढ़ने का खतरा है। क्योंकि कई सारे लेंडिंग ऐप्स, RBI के नियमों का उल्लंघन करके लोन दे रहे हैं। एक एक्सपर्ट का कहना है, ‘नियामक का तर्क है कि यह (एफएलडीजी) लाइसेंस को किराए पर देने में आगे है, जो अभी विनियमित संस्थाओं के पास है। इस व्यवस्था के परिणामस्वरूप हाई एनपीए (NPA) हो सकता है। ऐसा होने से बड़ा खतरा है जो विनियमित संस्थाओं को प्रभावित कर सकता है।’
बता दें कि RBI ने हाल ही में सेंट्रल बैंक के साथ रजिस्टर्ड उन लेंडिंग ऐप्स की एक लिस्ट सरकार के साथ शेयर की थी जो नॉन-बैंक लेंडर के साथ काम कर रहे हैं। मिनस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स ऐंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ने बाद में इस लिस्ट में मौजूद 94 लोन ऐप्स को बैन कर दिया था।
एक डिजिटल लेंडर का कहना है, ‘हम FLDG पर कुछ स्पष्टता पाने की कोशिश RBI से कर रहे हैं। हम यह जानना चाहते हैं कि FLDG समझौते के तहत किस बात की अनुमति है और किस बात की अनुमति नहीं है।’ फिनटेक कंपनियों का कहना है कि अधिकतर बैंक और NFCs ने FLDG समझौते को अपना लिया है और बिना किसी स्पष्टता के ही फिनटेक के साथ अपने कॉन्ट्रैक्ट को वापस लेना शुरू कर दिया है।
बता दें कि दिसंबर 2022 में RBI ने कुछ फिनटेक कंपनियों और उनके संघों से मुलाकात की थी। गवर्नर ने यह भरोसा दिलाया था कि सेंट्रल बैंक, फाइनैंशल सेक्टर में नए इनोवेशन के लिए एक भागीदारी और परामर्श देना जारी रखेगा।
बैंकों और नॉन-बैंक प्लेयर्स का मानना है कि FLDG को मौजूद रहना चाहिए। एक लेंडर ने कहा, ‘जब बैंक लोन से जुड़े बड़े रिस्क ले रहे हैं तो क्या वो फिनटेक पर कोई फैसला नहीं ले सकते…क्या वे (फिनटेक) एफएलडीजी को अपनाना चाहते हैं या नहीं? FLDG पर पूर्ण प्रतिबंध की आवश्यकता नहीं है।’
फिनटेक इंडस्ट्री में दो एसोसिएशन हैं- डिजिटल लेंडर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Digital Lenders’ Association of India और फिनटेक एसोसिएशन फॉर कंज्यूमर इम्पावरमेंट (FACE)। DLAI के पास 80 से ज्यादा सदस्य हैं और देश में डिजिटल क्रेडिट इंडस्ट्री के ट्रांजैक्शन वॉल्यूम का करीब 85 फीसदी रिप्रेजेंट करते हैं। वं FACE के पास करीब 34 फिनटेक कंपनियां हैं।