प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत योजना को व्यापारिक मोर्चे पर कामयाबी मिलती नजर आ रही है। इस वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में चीन के साथ भारत का व्यापारिक घाटा पिछले वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों के मुकाबले आधा रह गया है। चीन के साथ व्यापारिक घाटे आधा होने के पीछे चीन में भारत के निर्यात में बढ़ोतरी और भारत में चीनी सामानों के आयात में बड़ी गिरावट अहम कारण हैं। सरकार ने भारतीय बाजार में चीनी सामानों की डंपिंग को रोकने के लिए बड़े कदम उठाए थे जिसका असर इस वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में दिखा है।
इस वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में चीन के साथ भारत का व्यापारिक घाटा 12.6 बिलियन डॉलर रहा है जबकि पिछले साल अप्रैल से अगस्त तक यह व्यापारिक घाटा 22.6 बिलियन डॉलर था । 2019 में इसी अवधि में भारत का चीन के साथ व्यापारिक घाटा 23.5 बिलियन डॉलर था। आत्मनिर्भर भारत अभियान और गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत चीन पर व्यापारिक निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहा है। इन पांच महीनों में चीन में भारत का निर्यात बढ़ा है। लगातार चार महीनों तक चीन में भारतीय निर्यात में डबल डिजिट ग्रोथ देखने को मिला। इसके अलावा चीन में भारत के आयरन और स्टील शिपमेंट संबंधित एक्सपोर्ट 8 गुना तक बढ़ गए।
पिछले साल अप्रैल से अगस्त के 9.5 पर्सेंट ओवरऑल शिपमेंट के मुकाबले इस वित्त वर्ष के पहले 5 महीनों में इसमें 27 पर्सेंट की ग्रोथ हुई। वहीं इस वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में चीनी आयात घटकर 21 फीसदी रह गया है। पिछले वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में यह आंकड़ा 27 फ़ीसदी था। जून में ओवरऑल एक्सपोर्ट ग्रोथ 78 फीसदी थी जो जुलाई में घटकर 23 फीसदी रह गई। चीन के साथ गलवान घाटी में झड़प के बाद भारत सरकार देश में चीनी सामानों की डंपिंग को रोकने के लिए नीतियों पर भी काम कर रहा है।
अभी डायरेक्टरोट जनरल ऑफ फॉरेन ट्रेड ने भारत में लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए कलर टेलीविजन सेट के आयात पर भी रोक लगाने की घोषणा की है। इसके अलावा भारत दक्षिण एशिया के अपने व्यापारिक साझेदारों द्वारा भारत में चीनी सामानों की हो रही रिरूटिंग को भी रोकना चाहता है। पिछले कुछ समय से भारतीय फोन मार्केट में चाइनीस स्मार्टफोन का दबदबा है। हालांकि वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय मार्केट में चीनी स्मार्टफोन का शेयर घटकर 72 फ़ीसदी रह गया जबकि पिछले साल के आखिरी तिमाही में भारत में चीनी स्मार्टफोन का 81 फ़ीसदी शेयर था।
इसके अलावा सरकार भारत के 20 सेक्टर में लाइसेंसिंग रिक्वायरमेंट इंपोज करने पर विचार कर रही है। इन 20 सेक्टरों में टॉय्ज, स्पोर्ट्स, गुड्स, टैक्सटाइल्स आदि शामिल हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट (API) पर कस्टम ड्यूटी में 10 से 15 फ़ीसदी बढ़ोतरी कर सकती है। दरअसल भारतीय फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्री API के लिए चीन पर निर्भर है। भारत के एक्टिव फार्मास्यूटिकल इनग्रेडिएंट (API) में चीन की 68 फ़ीसदी और एंटीबायोटिक्स में 90 फ़ीसदी हिस्सेदारी है।