पीएम नरेंद्र मोदी ने भले ही लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है, लेकिन वास्तव में सरकारी खजाने से फिलहाल काफी कम रकम निकलने वाली है। इसका बड़ा हिस्सा करीब 8.04 लाख करोड़ रुपये का ऐलान भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से फरवरी, मार्च और अप्रैल के महीने में कई तरह से सिस्टम में नकदी बढ़ाने के लिए किया जा चुका है। इसके अलावा मार्च के आखिरी सप्ताह में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से घोषित 1.7 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को भी जोड़ लिया जाए तो फिर 10.26 लाख करोड़ रुपये की रकम ही बचती है। उम्मीद की जा रही है कि वित्त मंत्री की ओर से जल्दी ही इस बचे हुए पैकेज के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
सरकार की ओर से जारी किए गए पैकेज के बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि इस साल पैकेज में से 4.2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जारी करना संभव नहीं लगता। तीन दिन पहले ही सरकार की ओर से चालू वित्त वर्ष में बाजार से कर्ज की सीमा को बढ़ाकर 12 लाख करोड़ रुपये किया गया है, जो पहले 7.8 लाख करोड़ रुपये था। इस तरह से जानकारों का मानना है कि सरकार कर्ज में ली गई 4.2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त रकम को ही इस पैकेज के तहत खर्च करने वाली है। यह रकम ही सरकार के पास नकदी के तौर पर उपलब्ध है। इस तरह से देखें तो 4.2 लाख करोड़ रुपये की यह रकम जीडीपी के 2.1 फीसदी के बराबर होगी।
दूसरे शब्दों में कहें तो गरीबों, पलायन करने वाले मजदूरों और किसानों के लिए सरकार 4.2 लाख करोड़ रुपये के पैकेज का ही ऐलान हो सकता है। हालांकि यदि इस पैकेज को भी सही तरीके से खर्च किया जाए तो इसके काफी अच्छे परिणाम हो सकते हैं। खासतौर पर तब जब भारतीय अर्थव्यवस्था बीते 47 दिनों से पूरी तरह से ठप है। ज्यादातर ग्लोबल एजेंसियों ने फाइनेंशियल ईयर 2020-21 में भारत की अर्थव्यवस्था के 0.4 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान लगाया है।
बैंकों को कर्ज के लिए दी जा सकती है बड़ी रकम: सूत्रों का कहना है कि गरीब तबके के लोगों के लिए चलने वाली योजनाओं के तहत कैश ट्रांसफऱ के बाद बचने वाली रकम को इस तरह से इस्तेमाल किया जाएगा कि उससे ज्यादा से ज्यादा रिटर्न मिल सके। जैसे सरकार बैंकों को यह रकम दे सकती है कि वे कंपनियों को ज्यादा से ज्यादा कर्ज दे सकें और कारोबार की शुरुआत हो सके।
सरकार नहीं झेल सकती ज्यादा बड़ा पैकेज: सरकारी अधिकारियों ने कहा कि सरकार वास्तव में बहुत बड़े आर्थिक पैकेज को अफोर्ड नहीं कर सकती। एक अधिकारी ने कहा कि यह राहत ऐसी ही है कि किसी मरीज को आईसीयू से बाहर निकाला जाए। सरकार के पास इतना बजट नहीं है कि वह खर्च को अप्रत्याशित तौर पर बढ़ा सके। यही नहीं 27 मार्च को जारी किए 1.7 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में से भी महज 61,380 करोड़ रुपये की रकम ही ऐसी थी, जिसे गरीबों तक पहुंचाया गया है। इसमें भी 17,380 करोड़ रुपये पीएम किसान योजना के तहत ट्रांसफऱ किए गए हैं, जिसका प्रावधान पहले से ही 2020-21 के बजट में तय किया गया था।
Coronavirus से जुड़ी जानकारी के लिए यहां क्लिक करें: कोरोना वायरस से बचना है तो इन 5 फूड्स से तुरंत कर लें तौबा, जानिये- किसे मास्क लगाने की जरूरत नहीं और किसे लगाना ही चाहिए, इन तरीकों से संक्रमण से बचाएं, क्या गर्मी बढ़ते ही खत्म हो जाएगा कोरोना वायरस?