Arvind Panagariya On Hindenburg Report: अमेरिकी फर्म हिंंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट (Hindenburg Report) अडानी समूह पर काफी भारी पड़ी है। 24 जनवरी को यह रिपोर्ट आने के बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों में लगातार गिरावट हो रही है। 3 फरवरी को खत्म हुए सप्ताह में गौतम अडानी दुनिया में अमीरों की लिस्ट में टॉप 20 से भी बाहर हो गए थे। इस बीच नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष और आजकल अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अरविंद पनगड़िया ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और फर्म की साख को लेकर सवाल उठाए हैं।
अडानी ग्रुप को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनगड़िया ने जनसत्ता.कॉम से कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और साख शक के घेरे में है। अमेरिका में शॉर्ट सेलर्स के खिलाफ जांच चल रही है। उन्होंने कहा कि ये कंपनियां यह भी दावा करती हैं कि उनके पास दशकों का अनुभव है, लेकिन हिंडनबर्ग खुद छह साल पुरानी कंपनी है।
अमेरिका में चल रहा बड़ा इंवेस्टिगेशन: अरविंद पनगड़िया
पनगड़िया ने कहा कि ये जो शॉर्ट सेलर्स हैं, इनको एक्टिविस्ट शॉर्ट सेलर्स कहते हैं। इनके पास शेयर नहीं होते हैं, लेकिन यह कंपनियां कई तरह के एग्रीमेंट करती हैं फिर उसके बाद यह लोग खराब न्यूज निकालते हैं। हालांकि, पनगड़िया ने ये भी कहा कि मैं हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर ऐसा कोई दावा नहीं कह रहा हूं, लेकिन कुछ शॉर्ट सेलर्स का ऐसा रिकॉर्ड है और इसी बात का इंवेस्टिगेशन जस्टिस डिपार्टमेंट अमेरिका में कर रहा है।
उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के बाद जिस तरह की प्रतिक्रिया भारत में देखने को मिली, इसी तरह की प्रतिक्रिया अन्य देशों में भी देखने को मिलती है। पनगड़िया ने कहा कि इससे पहले हिंडनबर्ग ने अमेरिका और चीन की कंपनियों को लेकर भी रिपोर्ट निकाली थी, अगर इसकी वेबसाइट पर देखें तो साल में करीब 8-10 रिपोर्ट निकाली जाती हैं। उन्होंने कहा कि इस कंपनी की खुद की कोई पारदर्शिता नहीं है। कंपनी खुद छह साल पुरानी है। इस कंपनी में कितने कर्मचारी हैं, यह भी इसकी वेबसाइट पर साफ नहीं है।
अडानी समूह पर हिंंडनबर्ग के आरोपों पर सेबी साफ करे तस्वीर
अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिसर्च ने जो आरोप लगाए हैं, उनके बारे में पनगड़िया ने कहा कि आरोपों की सच्चाई के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। इस बारे में अच्छा होगा कि सेबी अडानी समूह के प्रतिनिधियों से आरोपों के बारे में बात करे और फिर सच लोगों को बताए। मैं यह नहीं कह रहा कि भारत की कंपनियां दूध की धुली हैं, लेकिन अगर कुछ गड़बड़ है तो वह सेबी को साफ करना चाहिए। बता दें कि हिंंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक अडानी समूह की कंपनियों के शेयरों के भाव गलत तरीके से नियंत्रित किए गए हैं।
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पनगड़िया ने कहा कि कोविड के दौरान सरकार ने बैंक की बैलेंसशीट भी साफ कर दी। सरकार ने तीन-साढ़े तीन लाख करोड़ बैंकों में लगाए हैं। सभी बैंक रिकैपिटलाइज हो गए हैं, बैंकों की बैलेंसशीट अब अच्छी है। कॉपरेशन का भी क्लीनअप हो गया है। अब उनकी बैलेंसशीट बहुत अच्छी है। उन्होंने कहा कि इस वक्त देश की स्थिति बहुत मजबूत है। आने वाले सालों में हम फिर से सात प्रतिशत की वृद्धि दर से आगे बढ़ेंगे।