कर्ज में डूबी सरकारी एयरलाइन कंपनी एयर इंडिया के बिक्री प्रक्रिया एक बार फिर शुरू हो गई है। बीते दिसंबर में इसके पहले चरण में बोलियां आमंत्रित की गई थी, अब यह सौदा वित्तीय बोलियों के चरण में चला गया है, और इसके सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद है।
सौदे के सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद : बताया जा रहा है कि प्रारंभिक बोलियों का विश्लेषण करने के बाद योग्य बोलीदाताओं को एयर इंडिया के वर्चुअल डेटा रूम (वीडीआर) तक एंट्री दी गई है। अब निवेशकों के सवालों के जवाब दिए जाएंगे। अब इस सौदे के सितंबर तक पूरा होने की उम्मीद की जा रही है। आपको बता दें कि एयर इंडिया को खरीदने के लिए लगाई गईं शुरुआती बोलियों में टाटा समूह भी शामिल है। पहले भी एयर इंडिया का मालिकाना हक टाटा समूह के पास रह चुका है।
पूरी हिस्सेदारी बेच रही सरकार: सरकार एयर इंडिया में अपनी पूरी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है। यह विमानन कंपनी 2007 में घरेलू परिचालक इंडियन एयरलाइंस के साथ विलय के बाद से घाटे में है। कोविड-19 महामारी के कारण हिस्सेदारी बिक्री प्रक्रिया में देरी हुई और सरकार ने प्रारंभिक बोलियां पेश करने की समय सीमा को पांच बार बढ़ाया। (ये पढ़ें-एयर इंडिया के प्राइवेटाइजेशन के अलावा कोई विकल्प नहीं)
एयर इंडिया के सफल बोलीदाता को घरेलू हवाई अड़्डों पर 4,400 घरेलू और 1,800 अंतरराष्ट्रीय लैंडिंग के अलावा पार्किंग स्लॉट के साथ ही विदेशों में 900 स्लॉट पर नियंत्रण मिलेगा।
आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार ने सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। सरकार का वित्त वर्ष में दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी में अपनी हिस्सेदारी की बिक्री का इरादा है। इसमें बीपीसीएल, आईडीबीआई बैंक शामिल है। इसके अलावा एलआईसी के आईपीओ को भी इसी वित्त वर्ष में लाए जाने की उम्मीद है। इसी के तहत एयर इंडिया की भी बिक्री की जा रही है।
नागर विमानन मंत्री हरदीप पुरी ने पिछले महीने कहा था कि एयर इंडिया का निजीकरण करने या इसे बंद करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है। पुरी के मुताबिक एयर इंडिया अब पैसा बना रही है, लेकिन सरकार को प्रतिदिन 20 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। कुप्रबंधन की वजह से एयर इंडिया का कुल कर्ज 60,000 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है। (ये पढ़ें— एयर इंडिया को कितना हो सकता है घाटा, जानिए)